मुआवजा प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी न्याय का मजाक उड़ाने जैसा: हाईकोर्ट
-प्रबंधन और सत्यापन के लिए एनएचएआई प्रतिनियुक्त किए अधिकारियों पर निर्भर -एनएचएआई चेयरमैन को प्रभावी व कारगर ऑपरेशनल गाइडलाइन तैयार करने का निर्देश---अमर उजाला ब्यूरोचंडीगढ़। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण और मुआवजा प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को न्याय का मखौल उड़ाने जैसा करार दिया है। अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास और प्रबंधन के लिए गठित संस्था के पास निरीक्षण, सत्यापन, सर्वे और मुआवजा निर्धारण के लिए अपनी स्वतंत्र मशीनरी तक मौजूद नहीं है जो सिस्टम की सबसे बड़ी खामी है। हाईकोर्ट ने इस पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी, जवाबदेह और दुरुपयोग से मुक्त बनाने के लिए प्रभावी और कारगर ऑपरेशनल गाइडलाइन तैयार करने के निर्देश दिए हैं। आदेश की प्रति एनएचएआई चेयरमैन को भी भेजने को कहा गया है।जस्टिस हरकेश मनूजा ने मुआवजे के मुद्दे पर दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा कि एनएचएआई एक वैधानिक संस्था होते हुए भी बुनियादी कार्यों के लिए उधार की व्यवस्था पर निर्भर है। अदालत ने कहा कि अथाॅरिटी के पास न तो अपनी जमीन का सर्वे कराने का मैकेनिज्म है न ही अधिग्रहण के दौरान आपत्ति सुनने या मुआवजा तय करने में सक्षम संरचना। भारी-भरकम सार्वजनिक धन मुआवजे के रूप में जारी किया जाता है लेकिन इसके प्रबंधन और सत्यापन के लिए एनएचएआई राज्य सरकार या मंत्रालय से प्रतिनियुक्त अधिकारियों पर निर्भर रहती है। ये अधिकारी ज्यादातर इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि के होते हैं और राजस्व या वित्तीय मामलों में विशेषज्ञ नहीं माने जाते।ऑडिट तंत्र का अभावअदालत ने इसे जवाबदेही से रहित व्यवस्था बताया। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि मुआवजा तय करने का काम राज्य सरकार से लिए गए एसडीएम स्तर के अधिकारियों से लिया जा रहा है जबकि वे एनएचएआई के प्रशासनिक नियंत्रण में भी नहीं आते। कोर्ट ने भुगतान प्रणाली की कमजोरियों को भी उजागर किया और कहा कि वर्तमान नियम केवल केंद्रीय खाते और धन-निकासी सीमा तय करते हैं लेकिन ट्रांजैक्शन-लेवल माॅनीटरिंग, रियल-टाइम ट्रैकिंग या ऑडिट तंत्र का अभाव है। इस कारण चयनात्मक, देरी से या भेदभावपूर्ण भुगतान की स्थिति पैदा होती हैं जो पारदर्शिता और न्याय दोनों पर सवाल खड़े करती हैं। हाईकोर्ट ने मामले को 3 नवंबर को अनुपालन रिपोर्ट के साथ फिर सूचीबद्ध किया गया है। अदालत ने उम्मीद जताई कि एनएचएआई अब ठोस सुधार की दिशा में कदम बढ़ाएगी ताकि अधिग्रहण और मुआवजा प्रक्रिया में भरोसा और पारदर्शिता स्थापित हो सके।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 24, 2025, 17:58 IST
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