लाला किला विस्फोट: दिल्ली पुलिस ने विवि से बड़े पैमाने पर डाटा लिया, 50 से ज्यादा से की पूछताछ; नई प्राथमिकी

राष्ट्रीय राजधानी को फिर से दहलाने की कोई और साजिश तो नहीं रची जा रही, दिल्ली में और आतंकी तो नहीं घूम रहे हैं, जैश-ए-मोहम्मद के सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल का कोई और आतंकी तो दिल्ली में नहीं घूम रहा है दिल्ली पुलिस इन सवालों का जवाब अल फलाह विवि में खोज रही है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की एक टीम मंगलवार शाम को अल फलाह विवि पहुंची। टीम ने विवि के काफी मात्रा में मिलने-जुलने वाले लोगों का डाटा लिया। स्पेशल सेल की टीम ने विवि के मेन गेट से आगंतुकों की एंट्री वाला रजिस्टर खंगाला है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल 50 से ज्यादा संदिग्धों से सोमवार शाम तक पूछताछ कर चुकी है। स्पेशल सेल की न्यू दिल्ली रेंज (एनडीआर) की पूरी यूनिट इस मामले की जांच कर रही है। कई जिला पुलिस भी स्पेशल सेल की सहायता कर रही हैं। स्पेशल सेल की टीम मंगलवार शाम को अल फलाह विवि पहुंची। स्पेशल सेल ने नई प्राथमिकी की दर्ज स्पेशल सेल के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि दिल्ली फिर से धमाकों की दहलीज पर है इसको लेकर स्पेशल सेल में अलग से प्राथमिकी दर्ज की गई है। इस प्राथमिकी को लेकर स्पेशल सेल सफेद कोट मॉड्यूल के नजदीकी रहे लोगों से पूछताछ कर रही है। स्पेशल सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी तक जिन लोगों से पूछताछ की गई है उसमें ज्यादातर किसी न किसी तरीके से अल फलाह विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं। कुछ युवक मेवात के रहने वाले हैं और कभी न कभी सफेद कोट मॉड्यूल के नजदीकी रहे हैं। सोशल मीडिया पर शाहीन व परवेज ने नहीं छोड़ा सुराग दिल्ली में बम धमाके की घटना को अंजाम देने वाले आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के फरीदाबाद माड्यूल के सदस्यों में शामिल डॉ. शाहीन की सोशल मीडिया पर गतिविधियां संदिग्ध मिली हैं। वहीं उसके भाई डॉ. परवेज ने तो सोशल मीडिया से दूरी बना रखी थी। दोनों कुछ खास मोबाइल ऐप के जरिए आपस में संपर्क करते थे। यही वजह है कि जांच एजेंसियों को उनकी आपसी बातचीत के बारे में पुख्ता सुराग नहीं मिल पा रहे हैं। भीड़ बढ़ने का कर रहा था इंतजार स्पेशल सेल के पुलिस अधिकारियों के अनुसार उमर सुनहरी मस्जिद की पार्किंग में इसलिए रुका ताकि लाल किला के पास भारी भीड़ एकत्रित हो जाए। भीड़ बढ़ने के बाद उसने खुद को उड़ा लिया। हारपिक का इस्तेमाल हारपिक में एक्सीटोन होता है जिसमें खास तरह के केमिकल मिलाकर टीएटीपी बनाया जाता है। अमोनियम नाइट्रेट, टीएटीपी के साथ कुछ और केमिकल की मदद से आतंकियों ने खतरनाक विस्फोटक तैयार किया। शू-बम. वर्ष 2001 में एक ब्रिटिश नागरिक जूतों में इस तरह का विस्फोटक छिपा कर ले जा रहा था। उसने विस्फोटक को सीट के नीचे बिछा दिया। जब ये ब्रिटिश नागरिक पकड़ा गया तब पहली बार शू-बम सामने आया था।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 19, 2025, 06:39 IST
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