Mahakumbh 2025 : सनातन परंपरा का वैश्विक विस्तार, महाकुंभ में संगम तट पर सिमटी दुनिया; आस्था का प्रवाह बरकरार
सनातनी परंपरा की धर्म ध्वजा को पूरी दुनिया में विस्तार देने वाला 45 दिनों तक चलने वाला महाकुंभ बुधवार को संपन्न हो गया। हालांकि, मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के अविरल तट पर आस्था का जन प्रवाह अब भी बना हुआ है। पौष पूर्णिमा से महाशिवरात्रि के बीच चलने वाला यह आयोजन 66 करोड़ से अधिक सनातनियों के समागम का साक्षी बना। परमब्रह्म ब्रह्माजी की इस यज्ञ भूमि पर संतों के शिविरों एवं धर्म संसद में अनेकों संकल्प पारित हुए तो केंद्र और कई राज्यों की सरकारों ने देश तथा प्रदेश के विकास का खाका प्रस्तुत किया। त्रिवेणी तट पर हिलोर मारती आस्था के बीच सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक हर पहलू पर नई लकीरें भी खींची गईं। संभवत: कुंभ 2031 में इससे भी बड़ी लकीर खींची जा सके इन्हीं संकल्पों और संभावनाओं के साथ संंत विदा हो चुके हैं तो सरकार एवं प्रशासन ने भी मेला समेटना शुरू कर दिया है। सामाजिक समरसता का बना केंद्र महाकुंभ 2025 सामाजिक समरसता के सबसे बड़े केंद्र के रूप में सामने आया। संत, तपस्वी एवं मानव रूप में अनेक पुण्य आत्माओं ने संगम में श्रद्धा की डुबकी लगाई तो लाखों दुराचारियों ने भी उसी त्रिवेणी में इस संकल्प और उम्मीद के साथ स्नान किया कि पापों की इस पीड़ा से मुक्ति मिल जाए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संगम तट पर एक तरफ स्नान कर रहे थे तो वहीं दूसरी ओर सबसे निचले स्तर का अनुचर भी मां गंगा की गोद में डुबकी लगा रहा था। विश्व के धनाढ्यों में शामिल मुकेश अंबानी, गौतम अडानी के साथ सबसे निचले तबके के लाखों लोग भी एक समान आस्था और संकल्प के साथ संगम तट पर पहुंचे। बने कई अनोखे रिकॉर्ड महाकुंभ-2025 में जन समागम को लेकर कई अनोखे रिकॉर्ड बने। इन 45 दिनों में 66 करोड़ से अधिक लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। विश्व के किसी भी आयोजन में इतनी बड़ी संख्या में लोग नहीं पहुंचे हैं। पौष पूर्णिमा से पहले ही एक करोड़ से अधिक लोग स्नान कर चुके थे। मौनी अमावस्या के दिन 7.64 करोड़ लोगों ने स्नान किया। एक दिन में इतनी बड़ी संख्या में लोगों के स्नान का रिकॉर्ड है। इतना ही नहीं ऐसा पहली बार हुआ जब किसी स्नान पर्व से एक दिन पहले भी करीब पांच करोड़ लोगों ने स्नान किया हो। मौनी अमावस्या से एक दिन पहले 4.99 करोड़ लोगों ने स्नान किया था। इस महाकुंभ में 27 दिन ऐसे रहे जब करोड़ से अधिक लोगों ने स्नान किया। इतना ही नहीं आठ दिन तो दो करोड़ से अधिक लोगों ने संगम में डुबकी लगाई। धार्मिक पर्यटन का केंद्रबना प्रयागराज कुंभ 2019 में ही प्रयागराज को एक बड़े धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में पहचान मिली थी। महाकुंभ 2025 में इसे और विस्तार मिला। काशी और अयोध्या के साथ प्रयागराज में भी बड़ी संख्या में पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं के वर्ष पर्यंत आने की उम्मीद है। इसे ध्यान में रखकर अन्य पर्यटन स्थल विकसित करने के साथ सुविधाएं भी बहाल रखने की योजना बनाई गई है। पूरी दुनिया बनी गवाह महाकुंभ की भव्यता एवं दिव्यता की पूरी दुनिया साक्षी बनी। भूटान नरेश के अलावा कई देशों के मंत्री तथा वरिष्ठ नेताओं ने संगम स्नान किया। 76 देशों का प्रतिनिधिमंडल भी मेला क्षेत्र का हिस्सा बना तथा संगम स्नान किया। मेला प्रशासन के अनुसार नेपाल के ही 50 लाख से अधिक लोगों ने स्नान किया। वहीं 27 देशों के दो लाख से अधिक लोग यहां आए। कई राज्यों की सरकारों ने जताई श्रद्धा, हुईं कैबिनेट की बैठकें महाकुंभ में उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, त्रिपुरा समेत अनेकों राज्यों के मुख्यमंत्री ने अपने कई मंत्रियाें संग संगम स्नान किया। उत्तर प्रदेश के साथ मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रिपरिषद की बैठक भी महाकुंभ नगर में हुई, जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। ऐसा पहली हुआ जब किसी राज्य के कैबिनेट की बैठक दूसरे प्रदेश में हुई हो। इसके अलावा महाकुंभ नगर दो राज्यों की कैबिनेट की बैठक वाला पहला जिला भी बना। इतना ही नहीं प्रयागराज नगर निगम की बैठक भी पहली बार महाकुंभ नगर में हुई। वीआईपी भीड़ से बढ़ी परेशानी यह महाकुंंभ वीआईपी भीड़ के लिए भी जाना जाएगा। इनकी गतिविधियां आम श्रद्धालुओं और शहरियों के लिए परेशानी का सबब भी बनीं। करीब 10 हजार गणमान्यों का तो प्रोटोकॉल जारी हुआ। इनमें से ज्यादातर वीआईपी के जत्थे में 10 से 50 लोग शामिल रहे। ये ऐसे वीआईपी रहे जिनके प्रोटोकॉल के तहत यातायात रोकने के साथ लोगों को डायवर्ट किया गया। इनके अलावा हजारों ऐसे वीआईपी भी आए जिन्हें प्रोटोकाल तो नहीं मिला लेकिन उनके रिश्तेदार या परिचित किसी ऊंचे ओहदे या पुलिस विभाग में कार्यरत हैं। प्रदेश की अर्थव्यवस्था में आया साढ़े तीन लाख करोड़ का बूम तप और त्याग के आयोजन महाकुंभ का आर्थिक लिहाज से भी बड़ा महत्व रहा। पांच लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से रोजगार मिला। सरकारी दावाें के अनुसार प्रदेश की अर्थव्यवस्था में करीब साढ़े तीन लाख करोड़ का इजाफा हुआ। अकेले प्रयागराज एवं महाकुंभ नगर में ही 54 हजार करोड़ रुपये का व्यापार हुआ। महाकुंभ के प्रमुख आंकड़े 4000हेक्टेयर में बसाया गया महाकुंभ मेला 04 जोन और 25 सेक्टर में रहा विभाजित 7 5 से अधिक प्रशासनिक अफसरों की रही तैनाती 10 हजार से अधिक संस्थाएं हुईं शामिल 07 हजार करोड़ से अधिक के हुए विकास कार्य 30 पांटून बनाए गए 1.47 लाख बनाए गए शौचालय 12 किमी में बनाए गए 44 घाट 101 स्थानों पर 1867 हेक्टेयर में बनाए गए थे पार्किंग स्थल 1.47 लाख बनाए गए शौचालय 15000 सफाई कर्मियों की रही तैनाती 485.62 किमी में बिछाई पेयजल पाइपलाइन 200 से अधिक वाटर एटीएम 67026 स्ट्रीट लाइटें लगाई गईं तीन विश्व कीर्तिमान महाकुंभ आयोजन के आखिरी दिनों में तीन विश्व रिकॉर्ड बने। इसमें 300 सफाई कर्मियों ने नदी स्वच्छता तथा 15 हजार से अधिक कर्मचारियों ने स्वच्छता के दो अलग-अलग रिकॉर्ड बनाए। इसी के साथ 10 हजार से अधिक लोगों ने आठ घंटे में हाथ का छापा लगाकर नया विश्व कीर्तिमान बनाया। वहीं महाशिवरात्रि के अगले दिन यानि, बृहस्पतिवार को करीब 700 शटल बसों के संचालन का विश्व कीर्तिमान बनाया जाएगा। मेला प्रशासन ने इनमें से तीन अपने ही रिकॉर्ड तोड़े हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Feb 27, 2025, 05:37 IST
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