Maha Kumbh 2025: कैसे लगाएं पवित्र संगम में आस्था की डुबकी, जानिए शास्त्रों में संगम स्नान का महत्व

Maha Kumbh 2025: सनातन संस्कृति का महोत्सव प्रयागराज महाकुंभ 2025 का शुभारम्भ हो चुका है। 144 वर्ष बाद बने इस सुखद संयोग पर 45 दिन तक यह पर्व चलता रहेगा। संगम जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियां मिलती हैं, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है। प्रयागराज स्थित यह स्थान केवल नदियों का मिलन स्थल ही नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी है। कुंभ के समय संगम में स्नान करने का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि संगम में स्नान करने से जीवन के सारे पाप धुल जाते हैं और आत्मा को शांति प्राप्त होती है। संगम में डुबकी लगाने की विधि संगम में डुबकी लगाने से पहले व्यक्ति को मन, वाणी और शरीर को पवित्र करने का संकल्प लेना चाहिए। स्नान के लिए गंगा, यमुना और सरस्वती का ध्यान करते हुए श्रद्धालु संगम के पवित्र जल में प्रवेश करते हैं। डुबकी लगाने के पीछे न केवल धार्मिक मान्यताएं हैं, बल्कि यह प्रक्रिया पापों से मुक्ति, पितरों की शांति और परिवार की समृद्धि के लिए की जाती है। Maha Kumbh 2025:चार पृथ्वी पर और आठ देवलोक में आयोजित होते हैं कुंभ, जानें इसका ज्योतिषीय महत्व पहली डुबकी-आत्मा की शुद्धि के लिए संगम में पहली डुबकी अपने लिए लगाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह डुबकी आत्मा को शुद्ध करती है और जीवन के पापों से मुक्ति दिलाती है। यह आत्मा को नए सिरे से जीने की शक्ति प्रदान करती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रिवेणी का जल सभी प्रकार की अशुद्धियों को दूर कर आत्मा को दिव्यता प्रदान करता है। Swapna Shastra:सपने में खुद को महाकुंभ में स्नान करते देखना देता है इस बात का संकेत दूसरी डुबकी-पितरों की शांति के लिए दूसरी डुबकी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए लगाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि पितरों का उद्धार करने और उन्हें स्वर्गलोक में स्थान दिलाने के लिए संगम स्नान अत्यंत प्रभावी है। यह डुबकी व्यक्ति को पितृ ऋण से मुक्त करती है। तीसरी डुबकी- परिवार की सुख समृद्धि के लिए तीसरी डुबकी परिवार के कल्याण, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए लगाई जाती है। यह डुबकी जीवन के कष्टों को दूर करने और परिवार में सुख-शांति बनाए रखने का प्रतीक है। Maha Kumbh 2025:महाकुंभ में आने वाले अखाड़ों का क्या है रहस्य जानें इसका इतिहास और महत्व चौथी डुबकी- समाज और राष्ट्र के लिए धर्मग्रंथों में वर्णित है कि समाज और राष्ट्र की शांति और उन्नति के लिए संगम स्नान करना चाहिए। चौथी डुबकी लगाते समय व्यक्ति यह संकल्प लेता है कि वह समाज और देश की भलाई में अपना योगदान देगा। Mahakumbh 2025:मकर संक्रांति के बाद कब है अगला अमृत स्नान यहां जानें तिथि और महत्व शास्त्रों में संगम स्नान का महत्व - ब्रह्मपुराण के अनुसार संगम स्नान का फल अश्वमेध यज्ञ के समान फलदायी कहा गया है। - मत्स्यपुराण में कहा गया है कि दस हजार या उससे भी अधिक तीर्थों की यात्रा का जो पुण्य मिलता है, उतना ही माघ के महीने में संगम स्नान से मिलता है। - अग्नि पुराण के अनुसार प्रयागराज में प्रतिदिन स्नान का फल उतना ही है, जितना कि प्रतिदिन करोड़ों गाय दान करने से मिलता है। - पद्म पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि जो भी त्रिवेणी संगम पर नहाता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। भृगु ऋषि के सुझाव पर गौतम ऋषि द्वारा अभिशप्त इंद्र को भी माघ स्नान के कारण ही श्राप से मुक्ति मिली थी. ऐसे में प्रायश्चित करने के लिए माघ महीने और महाकुंभ के संयोग में संगम पर स्नान सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 20, 2025, 11:16 IST
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