मोहम्मद अल्वी की ग़ज़ल: रात के मुँह पर उजाला चाहिए
रात के मुँह पर उजाला चाहिए चोर के घर में भी ताला चाहिए ग़म बहुत दिन मुफ़्त की खाता रहा अब उसे दिल से निकाला चाहिए पाँव में जूती न हो तो कुछ नहीं हाँ मगर एक-आध छाला चाहिए हाथ फैलाने से कुछ मिलता नहीं भीक लेने को पियाला चाहिए याद उन की यूँ न जाएगी उसे कुछ बहाना कर के टाला चाहिए शायरी माँगे है पूरा आदमी अब उसे भी मोंछ वाला चाहिए हमारे यूट्यूब चैनल कोSubscribeकरें।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 20, 2025, 19:59 IST
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