Maharashtra: राज्यपाल राधाकृष्णन बोले- जाति या धर्म के कारण लोगों को घर न मिलना निराशाजनक, समाप्त हो भेदभाव
महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने धार्मिक भेदभाव को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जाति या धर्म के कारण लोगों को घर नहीं मिलना 'निराशाजनक' है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस भेदभाव को समाप्त किया जाना चाहिए। राज्यपाल राधाकृष्णन ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए यह बात कही। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल राधाकृष्णन ने कहा कि अंतरधार्मिक वार्ता की अवधारणा नई नहीं है। यह विभाजन को समाप्त कर सकती है और पूर्वाग्रहों को खत्म कर सकती है। उन्होंने कहा, 'एक बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक समाज में यह आवश्यक है कि हम अपने नागरिकों को सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाएं। इसकी शुरुआत स्कूलों और कॉलेजों से होनी चाहिए।' ये भी पढ़ें:Navkar Mahamantra:PM मोदी ने किया नवकार महामंत्र का जाप; बोले- भारत ऊंचाई छुएगा, पर अपनी जड़ों से नहीं कटेगा बच्चों को विभिन्न धर्मों के पूजा स्थलों से परिचित कराएं राज्यपाल सीपी ने आगे कहा कि स्कूलों और कॉलेजों को सभी धर्मों के त्योहार मनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने माता-पिता को सलाह देते हुए कहा कि उन्हें अपने बच्चों को विभिन्न धर्मों के पूजा स्थलों से परिचित कराना चाहिए, ताकि उनमें अन्य धर्मों के प्रति सम्मान और सहानुभूति बढ़े। उन्होंने कहा, 'धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हम अपने छात्रों को सभी धर्मों के त्योहार मनाने से रोक रहे हैं।' शांति और सद्भावना केवल अंतरधार्मिक संवाद से ही संभव राज्यपाल सीपी ने आगे कहा कि यह सुनकर दुख होता है कि लोगों को जाति या धर्म के आधार पर आवास से वंचित किया जा रहा है। इस भेदभाव को हमेशा के लिए समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्व शांति और सद्भावना केवल अंतरधार्मिक संवाद से ही बनाई जा सकती है। हमें हर नागरिक को शांति और सद्भावना में भागीदार बनाना होगा। ये भी पढ़ें:भारत की अनूठी पहल:चीन से मुकाबले के लिए बौद्ध मठों में पढ़ाया जाएगा देशभक्ति का पाठ; नया पाठ्यक्रम जल्द भारतीय संस्कृति में जवाबदेही एक महत्वपूर्ण अवधारणा: आरिफ खान कार्यक्रम में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, महाराष्ट्र के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा और पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा ने भी भाग लिया। कार्यक्रम में बोलते हुए राज्यपाल खान ने कहा कि भारतीय संस्कृति की पहचान भाषा, त्वचा के रंग या आस्था से नहीं होती। भारतीय संस्कृति में जवाबदेही एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। उन्होंने कहा कि हर कार्य के परिणाम होते हैं। हम भारतीयों ने कभी नहीं कहा कि विविधता हमें कमजोर बनाती है। हमने हमेशा कहा कि विविधता, बहुलता प्राकृतिक नियम है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए। संबंधित वीडियो
- Source: www.amarujala.com
- Published: Apr 09, 2025, 10:17 IST
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