Hasya: महेंद्र अजनबी की हास्य कविता- वीर रस के कवि बैठे थे लगभग साठ

युद्धोपरांत वीर रस का कवि सम्मलेन था मंच के थे बहुत ही ठाठ-बाट वीर रस के कवि बैठे थे लगभग साठ मैं ख़ुश हुआ साठ कवियों की पूरी प्लाटून भई क्या बात है! आज की रात तो पाकिस्तान के लिए क़हर की रात है! फिर आशंकित हुआ साठ कवि वो भी एक ही रस के भगवान बचाए जो लड़ाई इनकी आज पाकिस्तान से होनी है कहीं वो इनमें आपस में ही न छिड़ जाए! साठ-साठ कवियों ने तो कर रखा था संचालक का घेराव एक कवि बोला देता हुआ मूँछों को ताव— पहले कविता पढ़ने मैं जाऊँगा क्योंकि यदि किसी और कवि ने पाकिस्तान पहले ही निपटा दिया तो मैं क्या बाद में झुनझुना बजाऊँगा पर कवियों ने श्रोताओं में ऐसा जोश भर दिया कि पहले कवि की कविताओं की बमबारी ने ही पाकिस्तानी को अधमरा कर दिया पूरा मंच बन गया था बंकर सभी कोसने लगे पाकिस्तान को जमकर एक कवि अभी भी पुराने ज़माने के ख़यालों में झूम रहा था मिसाइलों के युग में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ तलवार लिए घूम रहा था

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jul 09, 2025, 19:36 IST
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