मजरूह सुल्तानपुरी: ऐ दिल मुझे ऐसी जगह ले चल जहाँ कोई न हो

ऐ दिल मुझे ऐसी जगह ले चल जहाँ कोई न हो अपना पराया मेहरबाँ ना-मेहरबाँ कोई न हो जा कर कहीं खो जाऊँ मैं नींद आए और सो जाऊँ मैं दुनिया मुझे ढूँढ़ेमगर मेरा निशाँ कोई न हो उल्फ़त का बदला मिल गया वो ग़म लुटा वो दिल गया चलना है सब से दूर दूर अब कारवाँ कोई न हो

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Apr 01, 2025, 17:12 IST
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