Maratha quota stir: मराठा आरक्षण पर सरकार ने जारी किया जीआर, कुनबी प्रमाणपत्र के लिए बनेगी गांव-स्तरीय समिति

महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण की दिशा में बड़ा फैसला लेते हुए मंगलवार को हैदराबाद गजट पर आधारित एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी किया। इसके साथ ही सरकार ने मराठा समुदाय को कुनबी जाति प्रमाणपत्र दिलाने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए गांव-स्तरीय समितियां गठित करने की घोषणा की। यह फैसला मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल से हुई बातचीत के बाद लिया गया। सरकारी प्रस्ताव सामाजिक न्याय और विशेष सहायता विभाग ने जारी किया। इसमें कहा गया है कि हैदराबाद गजट में दर्ज ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर मराठाओं के दावे की जांच की जाएगी। यदि दस्तावेजों में किसी मराठा परिवार को कुनबी बताया गया है, तो उसे कुनबी प्रमाणपत्र देकर ओबीसी आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। मनोज जरांगे की मांग और आंदोलन मनोज जरांगे लंबे समय से यह मांग कर रहे थे कि मराठा समुदाय को कुनबी के तौर पर मान्यता दी जाए। कुनबी समुदाय महाराष्ट्र में ओबीसी श्रेणी में आता है और इस श्रेणी में आने से मराठाओं को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण मिल सकेगा। जरांगे ने मुंबई के आजाद मैदान में पांच दिन तक अनशन किया, जिसके बाद सरकार और आंदोलनकारियों के बीच सहमति बनी। ये भी पढ़ें-'तेलंगाना राज्यपाल के बेटे ने दी जान से मारने की धमकी', भाजपा सहयोगी दल TMP के विधायक ने लगाया आरोप गांव-स्तरीय पैनल का गठन जीआर में कहा गया है कि हर गांव में ग्राम सेवक, तलाठी और सहायक कृषि अधिकारी की समिति बनाई जाएगी। यह समिति आवेदकों के दस्तावेजों की जांच करेगी और योग्य पाए जाने वालों की रिपोर्ट संबंधित प्राधिकरण को सौंपेगी। समिति का काम समयबद्ध और पारदर्शी ढंग से करना होगा ताकि पात्र मराठाओं को कुनबी प्रमाणपत्र मिल सके। पुराने रिकॉर्ड से होगी जांच सरकार ने साफ किया है कि प्रमाणपत्र पाने के लिए आवेदकों को यह साबित करना होगा कि उनके परिवार या पूर्वजों के पास 21 नवंबर 1961 से पहले कृषि भूमि थी। इसके लिए पुराने राजस्व अभिलेख, भूमि रजिस्टर या अन्य सरकारी दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। इन दस्तावेजों की जांच गांव-स्तरीय समिति करेगी और पात्रता तय करेगी। महाराष्ट्र सरकार ने जुलाई 2023 में जाति प्रमाणपत्र नियमों में संशोधन कर पुराने दस्तावेजों को मान्य किया था। इसके बाद जुलाई 2024 में एक और जीआर जारी कर विभागों को पुराने रिकॉर्ड उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया था। मंगलवार का जीआर इन्हीं फैसलों को आगे बढ़ाते हुए मराठा समुदाय के लिए एक स्थायी ढांचा तैयार करता है। ये भी पढ़ें-नए नियमों से सड़क-रेल, बिजली परियोजनाओं को मिली समय से पहले शुरुआत की छूट; पढ़ें क्या बदला क्या है हैदराबाद गजट महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को बल देने वाला सबसे अहम दस्तावेज है 1918 का हैदराबाद गजट। निजाम शासनकाल में जारी इस आदेश में मराठवाड़ा क्षेत्र के कई मराठा समुदायों को कुनबी के तौर पर दर्ज किया गया था। कुनबी महाराष्ट्र में ओबीसी वर्ग के तहत मान्य हैं और आरक्षण का लाभ पाते हैं। गजट के अनुसार, मराठों को उस दौर में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा मानकर शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण का लाभ दिया गया था। यह दस्तावेज आज भी वैध माना जाता है और कई कानूनी मामलों में संदर्भ के रूप में पेश किया जाता है। यही कारण है कि मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटिल इसकी तत्काल लागू करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर हैदराबाद गजट को सरकारी प्रस्ताव (जीआर) के जरिए लागू किया गया, तो मराठों को सीधे कुनबी दर्जा मिल सकेगा। आरक्षण का लाभ पाने का रास्ता साफ जीआर का सीधा असर यह होगा कि मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठाओं को कुनबी प्रमाणपत्र मिलने लगेगा। इससे वे ओबीसी के तहत आरक्षण के हकदार हो जाएंगे। यह फैसला राज्य में चल रहे मराठा आरक्षण आंदोलन के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 02, 2025, 19:30 IST
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