Bareilly News: जर्जर इमारतों के नीचे सज रहा बाजार...जिम्मेदार बेपरवाह
बरेली। शहर के पुराने इलाकों और बाजारों में स्थित जर्जर इमारतें हादसों को दावत दे रही हैं। नगर निगम ने ऐसी 150 से अधिक खतरनाक इमारतों को चिह्नित कर रखा है। इसके बाद भी इस खतरे से निपटने के लिए कोई कार्रवाई नहीं हो रही। जिम्मेदार विभाग समाधान निकालने के बजाय अपनी मजबूरियां गिनाने और एक-दूसरे पर जिम्मेदारी टालने में लगे हुए हैं। स्थिति यह है कि शनिवार शाम खोआ मंडी में जिस जगह 117 वर्ष पुरानी मार्केट ढही थी, वहां बराबर में और भी जर्जर इमारतें हैंं। चूड़ी बाजार से लेकर जूता, तंबाकू तक की दुकानें यहां सजती हैं। दिन भर भीड़ रहती है, लेकिन अधिकारी बेफिक्र हैं। ऐसे में भविष्य में और हादसों से इंकार नहीं किया जा सकता। न बैरिकेडिंग की और न मलबा हटायामार्केट गिरने के दौरान एक बाइक और दो ठेले मलबे में दब गए थे। गनीमत रही कि कोई हताहत नहीं हुआ। इसके बाद भी प्रशासन व नगर निगम के अधिकारी नहीं चेते। रविवार को न यहां बैरिंकेडिंग की गई और न ही मलबा हटाया गया। यही नहीं यह मार्केट जिस जगह ढही है, उसके बराबर में ही दूसरी इमारत भी जर्जर हालत में है। उसके बचाव की भी किसी को फिक्र नहीं।1938 की बिल्डिंग के नीचे सज रहा चूड़ी बाजारघटनास्थल के दूसरी ओर चौराहा पार करते ही मनिहारों वाली मार्केट में चूड़ी का बड़ा बाजार सजता है। यह बाजार जिस जगह पर लग रहा है, वह बिल्डिंग 1938 की बनी हुई है। इमारत पर सन् लिखा हुआ है। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान बनी इस बिल्डिंग की दो मीनारें भी खिसकने लगी हैं। इसके बावजूद इसका कोई संज्ञान नहीं ले रहा। इमारत के नीचे करीब सात से आठ चूड़ी की दुकानें सजी हुई हैं।डरा रहा आयुर्वेदिक अस्पताल का चटका हिस्स निजी भवनों के अलावा बड़ा बाजार में संचालित राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल के भवन का बाहरी हिस्सा भी चटकने लगा है। कई जगह से दरारें आ गई हैं। भवन में अंदर से निर्माण कार्य मजबूती से कराए जाने का दावा है, लेकिन यहां से गुजरने वाले राहगीर पुराने भवन को चटका देखकर दुर्घटना को लेकर आशंकित रहते हैं। नगर आयुक्त बोले- जबरन नहीं तोड़ सकते कोई इमारतनगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य का कहना है कि जबरन कोई इमारत नहीं गिराई जा सकती। अगर कोई शिकायत आती है तो टीम निरीक्षण के लिए जाती है। पीडब्ल्यूडी के अधिकारी भी साथ में होते हैं। इसमें इमारत के मालिक से बात होती है। इसके बाद मजिस्ट्रेट को शामिल कर तोड़ने की कार्रवाई होती है। पहले हुई कार्रवाई के बाद कई मामले कोर्ट में चले गए हैं। इस वजह से अब जिला प्रशासन और मालिकों की सहमति से ही आगे की कार्रवाई की जाती है। हालांकि म्युनिसिपल एक्ट में यह प्रावधान है कि नगर निगम जनहित में जर्जर भवनों को नोटिस जारी कर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कर सकता है। संवाद
- Source: www.amarujala.com
- Published: Apr 07, 2025, 02:48 IST
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