Trupti Gaikwad: खंडित मूर्तियों को नया जीवन देने वाली महिला की कहानी, श्रद्धा को बनाया पर्यावरण की ताकत

Trupti Gaikwad from Pune: धर्म और श्रद्धा से जुड़ी मूर्तियां और फ्रेम्स जब टूट जाते हैं या पुराने हो जाते हैं तो हम अक्सर उन्हें नदी या झील में बहा देते हैं। कुछ लोग तो खंडित और पुरानी भगवान की मूर्तियों को मंदिरों में या पेड़ों के नीचे रख देते हैं। यह परंपरा हमें भले ही सही लगे, लेकिन यह न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है बल्कि श्रद्धा के अपमान के बराबर है। इस समस्या को पहचानकर 33 वर्षीय तृप्ति गायकवाड़ ने बदलाव की ठानी और संपूर्णम नामक अभियान की शुरुआत की। कौन हैं तृप्ति गायकवाड़ तृप्ति पुणे की रहने वाली हैं और पेशे से वकील हैं। साल2019 में जब तृप्ति ने एक व्यक्ति को खंडित मूर्ति नदी में डालते देखा तो उन्होंने उसे ऐसा करने से रोका। हालांकि ये एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है। आए दिन ऐसा ही तो होता था, कोई न कोई अपने घर से टूटी प्रतिमाएं लाकरविसर्जित कर दिया करता था। तृप्ति को समझ आया कि महज किसी एक को समझाना पर्याप्त नहीं है। इन खंडित मूर्तियों और टूटे फोटो फ्रेम्स के लिए कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है। टूटी मूर्तियों और फोटो फ्रेम्स घर-घर से किया इकट्ठा उन्होंने ठान लिया कि इन धार्मिक वेस्ट को अपसायकल करना होगा ताकि समाज और पर्यावरण दोनों को फायदा पहुंचाया जा सके। शुरुआत दोस्तों की मदद और स्थानीय कारीगरों के साथ से हुई। उन्होंने लोगों से सोशल मीडिया के जरिए अपील की कि वे अपने घरों से खंडित मूर्तियां और पुराने फ्रेम्स उन्हें सौंपें। संपूर्णम टीम घर-घर जाकर एक न्यूनतम शुल्क पर खंडित मूर्ति या पुराने फोटो फ्रेमइकट्ठा करने लगी। पुणे, मुंबई और नासिक से शुरू हुई यह छोटी पहल आज देशभर से 350 टन से ज्यादा धार्मिक वेस्ट को पानी में जाने से रोक चुकी है। हर टूटे टूकड़े को दिया नया रूप मूर्तियों और फोटो फ्रेम्स के टूटे टुकड़े को एक नया जीवन देते हुए तृप्ति ने गरीब बच्चों के लिए खिलौने बनाएं, साथ ही पक्षियों के लिए घोंसले तैयार कराएं। ये खिलौने गरीब बच्चों के चेहरे पर मुस्कान और पक्षियों के लिए आशियाना बनें। इन टूटे हुए टुकड़ों से कभी प्लेट बनती है तो कभी सजावटी सामान। श्रद्धा का भार अब प्रकृति और मुस्कुराहटों में बदल रहा है। तृप्ति का मानना है, “अगर आधुनिकता मूर्तियां बनाने में आ सकती है, तो क्यों न खंडित मूर्तियों और फ्रेम्स को रीसायकल करने में भी लाई जाए। यही संपूर्णम का मकसद है।” यह पहल न सिर्फ पर्यावरण को बचा रही है बल्कि महिला नेतृत्व की ताकत को भी सामने ला रही है। तृप्ति ने दिखा दिया है कि एक महिला की सोच और संकल्प से समाज में बड़े बदलाव संभव हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 28, 2025, 09:32 IST
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