ये मुलाकात एक बहाना है: ट्रंप-पुतिन की अलास्का में बैठक पर टिकीं नजरें; सकारात्मक नतीजा निकलने की उम्मीद कम

खुद को दुनिया का सबसे महान वार्ताकार समझने वाले डोनाल्ड ट्रंप कल यानी शुक्रवार को अलास्का में व्लादिमीर पुतिन के साथ होने वाली शिखर बैठक से पहले शायद किसी सलाह की जरूरत न समझते हों, फिर भी उन्हें रॉबर्ट क्राफ्ट नाम के सज्जन को फोन कर लेना चाहिए। मशहूर उद्योगपति क्राफ्ट जानते हैं कि रूसी राष्ट्रपति द्वारा ठगे जाने का मतलब क्या होता है। दरअसल, 2005 में अमेरिकी व्यापारिक नेताओं के साथ रूस की यात्रा के दौरान क्राफ्ट ने सिटीग्रुप के तत्कालीन अध्यक्ष सैंडी वेइल के कहने पर पुतिन को अपनी 25 हजार डॉलर की अंगूठी दिखाई थी। क्राफ्ट ने 2013 में यह वाकया बताया कि किस तरह से पुतिन ने उनकी अंगूठी को पहनते हुए कहा था, इस अंगूठी से मैं किसी की जान भी ले सकता हूं। वह बताते हैं, मैंने अंगूठी वापस लेने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया, लेकिन उन्होंने उसे अपनी जेब में रख लिया, और केजीबी के तीन लोग उन्हें घेरते हुए बाहर निकल गए। क्राफ्ट बताते हैं कि तत्कालीन बुश प्रशासन ने उनसे आग्रह किया था कि वह यह दिखावा करें कि अंगूठी एक उपहार थी, जबकि पुतिन ने बाद में इस मामले में क्राफ्ट का मजाक बनाते हुए कहा था कि अंगूठी तो बेहद सस्ती निकली। यह घटना दर्शाती है कि पुतिन आखिर चीज क्या हैं और क्यों उनके जैसे शातिर नेता को हल्के में नहीं लिया जा सकता। ट्रंप और पुतिन के अनोखे और अजीब रिश्ते ट्रंप और पुतिन के रिश्ते भी कुछ अजीब ही रहे हैं। फिर भी, ट्रंप शायद 2018 के हेलसिंकी शिखर सम्मेलन जैसा प्रदर्शन नहीं दोहराना चाहेंगे, जहां उन्होंने पुतिन के इस आश्वासन को नकार दिया था कि 2016 के चुनाव में रूस की तरफ से कोई दखल अंदाजी नहीं हुई थी और तब रिपब्लिकन पार्टी को इस तरह शर्मिंदा किया था कि वह आज भी वैसी ही दिखती है। ट्रंप को शायद यह एहसास भी होगा कि उनके कुछ पूर्ववर्तियों ने पिछले रूस शिखर सम्मेलनों में किस तरह से खुद को मूर्ख बनाया था। जॉर्ज डब्ल्यू बुश को कैसे भूला जा सकता है, जब उन्होंने कहा था, मैंने उस व्यक्ति की आंखों में देखा और मुझे वह बेहद सीधे व भरोसेमंद दिखे। मैं उनकी आत्मा तक को देख पा रहा था। या फिर, बराक ओबामा का यह कहना, चुनाव के बाद मेरे पास अधिक लचीलापन है, उन्होंने यह बात पुतिन के सहयोगी दिमित्री मेदवेदेव से कही थी। ट्रंप को नहीं भा रहा पुतिन की गैंगस्टर वाली शैली पुतिन की गैंगस्टर वाली शैली शायद ट्रंप को रास नहीं आती है, लेकिन वह बिल्कुल नहीं चाहेंगे कि ताजा बैठक में पुतिन उन पर हावी रहें। दरअसल, ट्रंप और पुतिन की इस मुलाकात में काफी कुछ गड़बड़ होने की आशंका है, जिसमें रूस व यूक्रेन के बीच भूमि की अदला-बदली की अस्पष्ट बातचीत भी शामिल है। इसके बावजूद कुछ तरीके हैं, जिनसे इस शिखर सम्मेलन को सार्थक बनाया जा सकता है। इस शिखर सम्मेलन के बारे में सबसे सकारात्मक बात यह है कि इसे एक अंतहीन युद्ध को रोकने के सम्मानजनक रास्ते के रूप में देखा जा सकता है। इसमें ट्रंप रूस पर लगे प्रतिबंध हटाने की पेशकश कर सकते हैं और वादा कर सकते हैं कि यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं होगा, लेकिन रूस को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी। पुतिन को यह स्वीकारना होगा कि फरवरी, 2022 की तर्ज पर रूस की यूक्रेन से समग्र वापसी होगी, कीव को पश्चिमी सहायता जारी रहेगी और यूरोपीय संघ में यूक्रेन की सदस्यता पर कोई रोक नहीं होगी। फिलहाल यह टेढ़ी खीर ही दिखता है। पुतिन निश्चित तौर पर युद्ध रोकने के इन प्रयासों को खारिज करेंगे, भले ही इससे उनकी अर्थव्यवस्था को सहारा मिल रहा हो या 2014 में क्रीमिया और पूर्वी यूक्रेन के कुछ हिस्सों पर उनके अवैध, पर अपरिवर्तनीय कब्जे को मंजूरी मिल जाए। ट्रंप रूस की अस्वीकृति के नतीजों के बारे में पुतिन से स्पष्ट बातचीत करके अपनी ही मदद करेंगे। इसके अतिरिक्त भी ट्रंप को कुछ मोर्चों पर ध्यान देना होगा। उन्हें यूरोप के साथ मिलकर अनुमानित तीन सौ अरब डॉलर की जब्त रूसी सरकारी संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि यह यूक्रेन द्वारा पश्चिमी हथियारों की खरीद के लिए धन जुटाने का एक जरिया बन सके। अमेरिकी राष्ट्रपति के पास 1977 के अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम के तहत ऐसा करने का कानूनी अधिकार है और जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश ने सद्दाम हुसैन के कुवैत पर आक्रमण के बाद इराक की जब्त संपत्तियों पर कब्जा करके उसे एक मुआवजा कोष में स्थानांतरित करके एक मिसाल कायम की थी। ट्रंप को इस्राइल के साथ अमेरिकी संबंधों की तर्ज पर कीव के साथ भी एक रक्षा और तकनीकी सहयोग समझौते पर विचार करना चाहिए। वर्तमान समय में युद्ध के मैदान में ड्रोन के तेज विकास और तैनाती के बारे में अमेरिका को यूक्रेन से काफी कुछ सीखना है। उन्हें कीव को एफ-16 और अन्य हथियारों के अतिरिक्त उपकरणों की आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि यूक्रेन के आकाश की रक्षा हो सके। अमेरिका द्वारा आपूर्ति किए गए हथियारों के यूक्रेन द्वारा उपयोग पर सभी तरह के प्रतिबंधों को हटाने पर भी ट्रंप को गौर करना चाहिए। शिखर बैठक के जरिये ट्रंप रूसी जनता को यह संदेश देना चाहेंगे कि उनके राष्ट्रपति को सम्मानजनक शांति का प्रस्ताव दिया गया था, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया। हालांकि, ऐसे शिखर सम्मेलन का कोई अर्थ नहीं, अगर इसमें वोलोदिमीर जेलेंस्की और यूक्रेनी जनता की भागीदारी न हो, जिनके साथ वैसा ही व्यवहार होने का खतरा है, जैसा 1938 में म्यूनिख में मिले सत्ताधारियों ने चेकोस्लोवाकिया की सरकार के साथ किया था। नेविल चैंबरलेन, जो 1937 से लेकर 1940 तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे, एक और ऐसे नेता हैं, जिनसे ट्रंप अपनी तुलना नहीं देखना चाहेंगे। गौरतलब है कि चैंबरलेन ने दूसरे विश्वयुद्ध से ठीक पहले की अवधि में हिटलर के जर्मनी के प्रति तुष्टीकरण का रवैया अपनाया था। कल ट्रंप के पास यह दिखाने का मौका है कि पुतिन, पुतिन हैं, तो वह भी ट्रंप हैं। इस दौरान वह पुतिन से क्राफ्ट की अंगूठी लौटाने के लिए भी कह सकते हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 14, 2025, 06:06 IST
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