Modi-Putin Meeting: SCO Summit 2025 में रूस-भारत के बीच द्विपक्षीय बैठक, Trump को सीधा संदेश।

चीन में हो रहे SCO समिट का आज दूसरा दिन है. SCO समिट में आज नेताओं की बैठक होगी. मीटिंग के बाद नेताओं का संबोधन भी होगा. पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन की आज मुलाकात होगी. तियानजिन में पीएम मोदी और पुतिन मिलेंगे. अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल खरीदने के चलते 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है. इसी के चलते पीएम मोदी और पुतिन के बीच होने वाली इस मीटिंग पर अमेरिका की भी नजर है.विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पुष्टि की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात से पहले एससीओ के पूर्ण सत्र (plenary session) को संबोधित करेंगे. मिस्री ने रविवार को तियानजिन में एक ब्रीफिंग के दौरान कहा, प्रधानमंत्री शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करेंगे, जहां वो एससीओ के तहत क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के भारत के नजरिए को रेखांकित करेंगे. इस बैठक के बाद, उनका रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक करने का कार्यक्रम है, जिसके बाद वो भारत के लिए रवाना होंगे.सुबह 10 बजे पीएम मोदी-पुतिन में द्विपक्षीय वार्ता होगी. पुतिन के साथ कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जब अमेरिका ने रूसी तेल पर बैन लगाया. तब भारत ने रूस से दोस्ती दिखाते हुए लगातार तेल खरीदना जारी रखा. ऐसे में जब पहली बार ट्रंप के टैरिफ वॉर के बाद पीएम मोदी और पुतिन की मुलाकात हो रही है, तो ट्रंप की धड़कनें बढ़ना तय है. इसके अलावा देखना होगा कि SCO के मंच से कैसे रूस और चीन मिलकर ट्रंप की धमकियों का जवाब देंगे.ट्रंप की टैरिफ तानाशाही और तेल को लेकर छिड़े कूटनीतिक युद्ध के 3 साल महाशक्तियां पहली बार एक साथ एक मंच पर हैं. एक है रूस. जिसके ऑयल एक्सपोर्ट पर अमेरिका ने बैन लगाकर उसे आर्थिक चोट पहुंचाने की कोशिश की. तो दूसरी तरफ हैं चीन और भारत. जो युद्ध के बाद रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीद रहे हैं. ऐसे में जब पुतिन, पीएम मोदी और जिनपिंग एकसाथ SCO के मंच से अपनी बात रखेंगे. तो यकीनन डोनाल्ड ट्रंप उसे बड़े ध्यान से सुन रहे होंगे. ऐसे में तेल को लेकर तीनों देश किसी एक नतीजे पर पहुंच सकते हैं. भारत ने साफ कर दिया है कि उसकी विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं होगा. वो रूस से लगातार तेल खरीदता रहेगा और अब एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने रूस से तेल खरीदकर एक बड़े ग्लोबल संकट को टाला है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह अंधाधुंध टैरिफ लगाए, उससे आर्थिक उथल-पुथल मचने से पहले भारत और चीन एक साथ आ गए. तियानजिन में SCO समिट में शामिल होने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और दोनों देशों ने एकजुटता दिखाकर ट्रंप को संदेश पहुंचा दिया कि हाथी और ड्रैगन एक साथ आ गए हैं. भारत-चीन की नजदीकी से बौखलाए ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने एक बार फिर भारत को लेकर कहा कि वो यूक्रेन युद्ध को फाइनेंस कर रहा है. पीटर नवारो ने भारत के खिलाफ बयान देते हुए कहा कि भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने से रूस की 'युद्ध मशीन' को बढ़ावा मिल रहा है. भारत की आलोचना करते हुए नवारो ने कहा, 'रूसी तेल खरीद करके रूस को यूक्रेन में युद्ध जारी रखने में भारत फाइनेंस कर रहा है. भारत रूस से सस्ते तेल की खरीद करके युद्ध को बढ़ा रहा है.'डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर पहले 25 फीसदी टैरिफ लगाया था, लेकिन रूस से तेल खरीद का बहाना बनाकर उन्होंने 25 फीसदी का टैरिफ और लगा दिया, जोकि 27 अगस्त से लागू हो गया है. ट्रंप के टैरिफ से भारत को कई सेक्टर में नुकसान होने की संभावना है, जिसको देखते हुए भारत अलग-अलग सेक्टर के लिए अलग-अलग मार्केट की तलाश कर रहा है. इस बीच चीन से संबंध भी बेहतर हो रहे हैं, ऐसे में ट्रंप के टैरिफ का बहुत ज्यादा असर नहीं होने की उम्मीद है.

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 01, 2025, 09:31 IST
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