MP News: नौ साल बाद प्रमोशन का रास्ता साफ, दो लाख नए पद सृजित होंगे, सीएम बोले- सभी वर्ग के हित का रखा ध्यान

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में "मध्यप्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025" को मंजूरी प्रदान की गई। इस निर्णय से प्रदेश के चार लाख शासकीय कर्मचारियों को लाभ होगा। नए नियमों के तहत दो लाख से अधिक पदों का सृजन किया जाएगा तथा अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्गों को उनका वांछित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाएगा।बैठक के बाद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि नए नियमों में अनुसूचित जनजाति को 20 प्रतिशत एवं अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया है। साथ ही इन वर्गों के कर्मियों को मेरिट के आधार पर पदोन्नति का अवसर मिलेगा। कुल मिलाकर पदोन्नति के पद जिस दिन उपलब्ध होंगे, उसी दिन उपयुक्त योग्य एवं आरक्षित वर्गों के प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखकर भरे जा सकेंगे। इस तरह से लगभग 2 लाख नए पद निर्मित होंगे। इससे प्रशासन में सुधार एवं कार्यक्षमता बढ़ेगी। सभी वर्ग के कर्मचारियों-अधिकारियों का ध्यान रखा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में प्रदेश के कर्मचारियों-अधिकारियों के 9 वर्ष से लंबित पदोन्नति के मामले का निराकरण किया। इसमें SC-ST सहित सभी वर्ग के कर्मचारियों-अधिकारियों के हितों का ध्यान रखा गया है। इसके माध्यम से पदोन्नति के बाद शासकीय सेवाओं में 2 लाख पद रिक्त होंगे और इन पर नये सिरे से भर्ती की संभावना बनेगी। वर्ष की शुरुआत में बनेगी चयन सूची पदोन्नति नियमों में व्यवस्था की गई है कि जैसे ही पद रिक्त होंगे, उसी दिन पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी की जा सकेगी। पदोन्नति के लिए वर्ष के अंत में नहीं, वर्ष की शुरुआत में ही चयन सूची यानी वर्तमान वर्ष में ही आगामी वर्ष की रिक्तियों के लिए पदोन्नति समिति की बैठक कर चयन सूची बनाए जाने का प्रावधान किया गया है, अर्थात अग्रिम डीपीसी के प्रावधान किए गए हैं। सीनियरिटी और मेधा दोनों को महत्व मिलेगा प्रथम श्रेणी के पदों पर मेधा-सह-वरिष्ठता (Merit-cum-Seniority) का फॉर्मूला लागू होगा। पदोन्नति के सूत्र में वरिष्ठता का पर्याप्त ध्यान रखा गया है। वरिष्ठ लोक सेवकों में से मेरिट के अनुसार न्यूनतम अंक लाने वाले लोक सेवक पदोन्नति के लिए पात्र होंगे, प्रथम श्रेणी के लोक सेवकों के लिए merit cum seniority का प्रावधान किया गया है। छोटी-मोटी शिकायत पर नहीं रूकेंगे प्रमोशन प्रमोशन में अपात्रता की स्पष्ट परिभाषा दी गई है। विभागीय पदोन्नति समिति के बैठक से पूर्व केवल कारण बताओ सूचना पत्र के आधार पर बंद लिफाफा की कार्यवाही नहीं की जाएगी, जिससे अधिक लोक सेवकों को पदोन्नति के अवसर प्राप्त होंगे। किन परिस्थितियों में कोई लोक सेवक अपात्र होगा एवं दंड का क्या प्रभाव होगा यह स्पष्ट रूप से लेख किया गया है। किसी भी विभागीय पदोन्नति समिति बैठक के संदर्भ में निर्णय के पुनर्विलोकन के लिए रिव्यू डीपीसी की बैठक आयोजित किए जाने के लिए स्पष्ट प्रावधान किए गए हैं। रोटेशन प्रणाली समाप्त कर दी गई है, जिससे अधिक पदों पर पदोन्नति संभव होगी। पदोन्नति समिति को शासकीय सेवक की उपयुक्तता निर्धारित करने का अधिकार दिया गया है। 6 माह के प्रतिवेदन को पूर्ण वर्ष माना जाएगा क्लास-4 कर्मचारियों के प्रमोशन में अंकों की बाध्यता समाप्त, केवल पात्रता देखी जाएगी। यानी पदोन्नति के लिए उपयुक्त होने पर ही पदोन्नति प्राप्त हो सकेगी। अर्हकारी सेवा के लिए किसी वर्ष में की गई आंशिक सेवा को भी पूर्ण वर्ष की सेवा माना जाएगा, यदि वर्ष के एक भाग की सेवा भी की गई है तो उसे पूर्ण वर्ष की सेवा माना जाएगा। यदि किसी वर्ष में 6 माह का ही गोपनीय प्रतिवेदन उपलब्ध है तो उसे पूर्ण वर्ष के लिए मान्य किया जा सकेगा। यदि गोपनीय प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं होने के कारण किसी की पदोन्नति रुकती है तो उसे पदोन्नति प्राप्त होने पर पूरी वरिष्ठता दी जाएगी। पदोन्नति के पद के विरुद्ध पदोन्नति का प्रावधान प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए शासकीय सेवक (जो आगामी वर्ष अर्थात पदोन्नति वर्ष में उपलब्ध नहीं होंगे) के पद के विरुद्ध पदोन्नति का प्रावधान किया गया है। गोपनीय प्रतिवेदनों में से यदि कोई गोपनीय प्रतिवेदन एनआरसी (नो रिपोर्ट सर्टिफिकेट), सक्षम स्तर से स्वीकृत अवकाश, पदग्रहण काल अथवा प्रशिक्षण के कारण है अथवा गोपनीय प्रतिवेदन में निर्धारित समय पर स्वमूल्यांकन के साक्ष्य है तो ऐसी स्थिति में गोपनीय प्रतिवेदन की अनुपलब्धता के आधार पर पदोन्नति नहीं रोकी जाएगी। 459 नए आंगनवाड़ी केंद्रों की स्थापना होगी बैठक में 459 नए आंगनवाड़ी केंद्रों की स्थापना को स्वीकृति दी गई है। यह कार्य आंगनवाड़ी 2.0 योजना के तहत किया जाएगा। साथ ही इन केंद्रों में कार्यरत रहने वाली सहायिकाओं और कार्यकर्ताओं की नई भर्ती भी की जाएगी। इस योजना के लिए केंद्र सरकार द्वारा 72 करोड़ रुपये और राज्य सरकार द्वारा 70 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। बिजली कंपनियों को 5163 करोड़ स्वीकृत इसके साथ ही प्रदेश में बिजली व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से बिजली कंपनियों को 5163 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। इस राशि से विद्युत वितरण और इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाया जाएगा ताकि उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति मिल सके। पांढुर्णा, मैहर और मउगंज में जिला कोषालय की स्थापना कैबिनेट द्वारा नव गठित जिलों पांढुर्णा, मैहर और मउगंज में जिला कोषालय की स्थापना का भी अनुमोदन किया।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jun 17, 2025, 20:34 IST
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