MP NEWS: 'खाद नहीं तो सल्फास दे दो सरकार'! सीहोर के किसान बोले- हम अन्नदाता नहीं, अब अभिशप्त दाता हैं
सीहोर जिले के इछावर और बोरदी क्षेत्रों में किसानों की रातें अब खेतों में नहीं, बल्कि सहकारी समितियों के बाहर बीत रही हैं। कोई खाट बिछाकर बैठा है, कोई बोरी पर सिर झुकाकर सो रहा है, तो कोई अपने नंबर की उम्मीद में टकटकी लगाए हुए है। कई किसानों को लगातार आठ दिन हो गए हैं। खाद की दो बोरी के लिए जीवन की सबसे लंबी प्रतीक्षा करते हुए। थके और टूटी आवाज में किसान भूरा सिंह परमार कहते हैं कि मंत्री जी हमें मंच से अन्नदाता कहते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि हम अंधे दाता हैं, जो आंख मूंदकर वोट दे देते हैं। अगर खाद नहीं दे सकते, तो हमें सल्फास ही दे दो। यह एक किसान की नहीं, पूरे मध्य प्रदेश के अन्नदाताओं की चीख है, जो अब विवशता के आंसुओं में डूब चुकी है। आठ दिन से लाइन में, फिर भी नहीं मिली खाद इछावर ब्लॉक की सोसायटियों में किसान कई दिनों से नंबर लगाकर बैठे हैं। कोई दो दिन से वहीं है, कोई तीन दिन से। वितरण शुरू होते ही अफरातफरी मच जाती है। पुलिस जवान व्यवस्था संभालने के लिए तैनात किए जाते हैं, फिर भी हर किसान को बस एक या दो बोरी ही मिल पाती है। कई लोग तो सुबह से शाम तक इंतजार के बाद भी खाली हाथ लौटते हैं। ये भी पढ़ें-कलेक्टर के सामने महिला को घसीटा, इस बात की शिकायत करने आई थी, जिलाधीश बोले- आप हमें ब्लैकमेल कर रहे बोरदी कलां में अफरातफरी, पुलिस को करना पड़ा हस्तक्षेप मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात बोरदी कलां गांव में हालात बेकाबू हो गए। किसानों की भीड़ बढ़ी तो पुलिस को मौके पर बुलाना पड़ा। घंटों की अफरातफरी के बाद जब वितरण शुरू हुआ तो किसानों को मुश्किल से एक-दो बोरी खाद नसीब हुई। गांव के बुजुर्ग किसान बोले, पहले मौसम ने मारा, अब व्यवस्था मार रही है। बाजार में कालाबाजारी, सोसायटियों में कमी किसानों ने आरोप लगाया कि खाद की असली कमी सोसायटी में नहीं, सिस्टम में है। बाजारों में यही खाद खुलेआम महंगे दामों पर बेची जा रही है। जहां सरकारी दाम पर नहीं मिलती, वहीं दुकान पर दोगुने दाम पर उपलब्ध है। यह तस्वीर बताती है कि कैसे अन्नदाता को हर मोर्चे पर लूटा जा रहा है। रबी सीजन पर संकट, खेत सूने–मन बेचैन रबी की बुवाई शुरू हो चुकी है, पर खेतों में जीवन की हरियाली के बजाय सूनी मिट्टी पसरी है। यूरिया और डीएपी की कमी से किसान बुवाई नहीं कर पा रहे हैं। खरीफ फसल पहले ही खराब हो चुकी है, अब रबी फसल से आखिरी उम्मीद थी। किसान कहते हैं हमारी फसलें नहीं, हमारी उम्मीदें सूख रही हैं। प्रशासन बोला– कमी नहीं, भ्रम है इधर प्रशासन का दावा है कि क्षेत्र में खाद की कोई कमी नहीं है। नायब तहसीलदार दुर्गेश तिवारी का कहना है कि ब्लॉक में 11 सहकारी समितियां और 3 प्राइवेट संस्थान लगातार वितरण कर रहे हैं। इस संबंध में ada अनिल जाट का कहना है जिले में खाद की कहीं कमी नहीं है। खाद लगातार आ रहा है और किसानों को वितरित हो रहा है। वहीं कलेक्टर बालागुरुके. ने कालाबाजारी रोकने और समय पर वितरण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। रतजगे में बीत रही रातें, आंखों में उम्मीद की जगह अब आंसू
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 15, 2025, 17:35 IST
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