नाच: एक संवेदनशील किशोर गाथा - कविता कृष्णात्री

किताब का नाम – नाच विधा – किशोर उपन्यास प्रकाशन – एकलव्य, भोपाल मूल्य – 75 रुपये नाच एकलव्य भोपाल द्वारा प्रकाशित किशोरों का उपन्यास है, जिसे नवनीत नीरव ने लिखा है। इस उपन्यास में दो कहानियाँ समानांतर रूप से चलती हैं। दोनों कहानियों में तकरीबन ढाई हज़ार सालका अंतर है। परंतु मूल कहानी सरोज और उसके शिक्षक के इर्द गिर्द ही घूमती है। इस उपन्यास की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पाठकों के मन पर एक गहरा प्रभाव छोड़ता है। लेखक ने पात्र के आंतरिक संघर्षों को इतनी बारीकी से दिखाया है कि सरोज का दर्द व्यक्तिगत लगने लगता है। कहानी इस विरोधाभास को सफलतापूर्वक चित्रित करती है कि कैसे एक व्यक्ति, जिसे समाज स्वीकार नहीं करता, फिर भी उसी समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इस उपन्यास का विषय प्रासंगिक है। अध्यापक के घर जन्मा सरोज आज के समाज की सच्चाई को दर्शाता है, वहीं उसकी कहानी ढाई हजार साल पुरानी कृशाश्व की कहानी से भी जुड़ती है। यह पढ़कर महसूस होता है कि एक शिक्षित परिवार में कला को करियर के रूप में चुनना हमेशा से ही मुश्किल रहा है। आज भी उतना ही कठिन है। यह दिखाता है कि पुरुषों के लिए उस कला को चुनना कितना मुश्किल है जो आमतौर पर स्त्रियों से जोड़ी जाती है। यह कहानी हमें यह एहसास दिलाती है कि कला को आज भी शौक के रूप में ही देखा जाता है, एक गंभीर पेशे के तौर पर नहीं। इस उपन्यास में कई कहानियाँ एक साथ चलती हैं, जो मुख्य कथा को और भी गहरा बनाती हैं। जैसे- कृशाश्व-शिलालीन की कहानी, सरोज और मास्टर साहब की कहानी, और बिल्ली के बच्चों की कहानी। ये सभी उपकथाएँ आपस में मिलकर कहानी को आगे बढ़ाती हैं और उसे एक मजबूत आधार देती हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 21, 2025, 10:35 IST
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