प्रकृति को माना गया है देवतुल्य : गोपाल आर्य
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में शिक्षण संस्थान कार्य विभाग की ओर से पर्यावरण संरक्षण गतिविधि की अखिल भारतीय तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। पर्यावरणविद् एवं पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के अखिल भारतीय संयोजक गोपाल आर्य ने कहा कि सनातन संस्कृति में प्रकृति को देवतुल्य माना गया है। वायु को प्राण, जल को जीवन, भूमि को मां और अन्न को देवता के रूप में पूजने की परंपरा रही है। लेकिन आधुनिक जीवनशैली ने इन्हें मात्र उपयोग की वस्तुएं बना दिया है, यहीं से संकट की शुरुआत होती है। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक ऐसी प्रेरणादायक संस्था है, जो भारतीय संस्कृति और सनातन मूल्यों की रक्षा के लिए समर्पित है। भारत के पुनर्निर्माण में भी अद्भुत योगदान दे रही है। अब समय आ गया है कि हम उपयोग से आगे बढ़कर उपासना की ओर लौटें। लोगों में प्रकृति के प्रति संवेदना और श्रद्धा जागृत करना ही आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है, तभी पर्यावरण संरक्षण एक जन आंदोलन बन सकता है। मौके पर डॉ. अनिल आदि शामिल रहे।
- Source: www.amarujala.com
- Published: May 10, 2025, 18:46 IST
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