Naxalite Hidma: 76 सीआरपीएफ जवानों का हत्यारा और झीरमकांड का मास्टरमाइंड हिड़मा डेडलाइन से 12 दिन पहले ही ढेर

Naxal Commander Mandavi Hidma Killed:आज से 15 साल पहले छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के ताड़मेटला में 76 सीआरपीएफ जवानों का हत्यारा और झीरम कांड का मास्टरमाइंड खूंखार नक्सली माड़वी हिड़मा मारा गया। 18 नवंबर को छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश सीमा के अल्लूरी सीतारामराजू जिले के मारेदुमिल्ली के पास सुबह-सुबह हुई मुठभेड़ में हिड़मा और उसकी पत्नी समेत कुल छह नक्सली मारे गये। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के तय डेडलाइन 30 नवंबर 2025 से 12 दिन पहले ही जवानों ने उसे मौत की नींद सुला दी। छह अप्रैल 2010 को ताड़मेटला में देश के सबसे बड़े नक्सली हमले से पूरा देश कांप उठा था। माना जाता है कि हिड़मा के बिछाये मौत की जाल में फंसकर सीआरपीएफ के 76 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। वो दिन भारतीय इतिहास का सबसे काला दिन माना जाता है , जिससे पूरा भारत सहम उठा था। इसके तीन साल बाद साल 2013 में झीरम नक्सली हमले में कई बड़े कांग्रेसी नेताओं सहित 31 लोग दिवंगत हो गये थे। इस हमले का मास्टर माइंड हिड़मा ही था। इस घटाना के चार साल बाद साल 2017 में बुरकापाल में हुए हमले में भी हिडमा की अहम भूमिका थी। इस हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान शहादत को प्राप्त हुए थे। वैसे तो हिड़मा कई गंभीर नक्सली वारदातों में शामिल रहा, लेकिन इन तीन घटनाओं ने छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। छत्तीसगढ़ के बड़े नक्सली हमले हिडमा के नेतृत्व में हुए नक्सली हमलों ने सुरक्षाबलों के मनोबल पर गहरा असर डाला और सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की। ये नक्सली हमले इस प्रकार से हैं ताडमेटला नक्सली हमला (6 अप्रैल 2010): सुकमा जिले के ताड़मेटला में यह हमला तब हुआ जब सुरक्षाबलों की एक बड़ी टुकड़ी ताडमेटला जंगल में गश्त कर रही थी। नक्सलियों की ओर से घात लगाकर किए गए इस हमले में CRPF के 76 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। यह नक्सली हमलों के इतिहास में सबसे घातक हमलों में से एक माना जाता है। हिडमा पर इस हमले की योजना बनाने और उसे अंजाम देने का आरोप था। करीब एक हजार नक्सलियों ने सीआरपीएफ जवानों को घेर लिया था। पांच अप्रैल को चिंतलनार सीआरपीएफ कैंप से करीब 150 जवान सर्चिंग के लिए जंगल गये हुए थे। जवान कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद जब वापस लौट रहे थे तभी छह अप्रैल की सुबह छह बजे नक्सलियों और जवानों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई। नक्सलियों ने ताड़मेटला और चिंतलनार के बीच सड़क पर लैंडमाइन बीछा रखा था और बीच में पड़ने वाली छोटी पुलिया को भी बम से उड़ा दिया था। शुरुआत में जवानों ने नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया और आठ बड़े नक्सलियों को मार गिराया था। लेकिन पास की पहाड़ी से शुरू हुई गोलीबारी में जवान बुरी तरह फंस गए। इसमें 76 जवान शहादत को प्राप्त हुए। वहीं कई जवान घायल हुए थे। झीरम घाटी नक्सली हमला (25 मई2013): इस हमले में कई बड़े कांग्रेसी नेताओं सहित 31 लोग दिवंगत हो गये थे। इस हमले का मास्टर माइंड हिड़मा ही था। इस बड़े नरसंहार में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके पुत्र, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल और बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, उदय मूदलियार , योगेंद्र शर्मा समेत कई अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं सहित 31 लोग दिवंगत हुए थे। दरभा घाटी के पास यह हमला एक राजनीतिक काफिले पर किया गया था और इसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। सुकमा नक्सली हमला (24 अप्रैल 2017): सुकमा जिले में हुए इस हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। यह हमला भी एक घात लगाकर किया गया था, जिसमें नक्सलियों ने बारूदी सुरंग (आईईडी) का इस्तेमाल किया था। इस घटना ने सुरक्षाबलों की तैयारी और रणनीति पर सवाल खड़े किये थे। सुकमा नक्सली हमला (वर्ष 2021): अप्रैल 2021 में सुकमा जिले के जगरगुंडा इलाके में हुई इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों के 22 वीरगति को प्राप्त हुए थे। यह पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षाबलों के लिए सबसे बड़ा नुकसान था। नक्सलियों ने बारूदी सुरंगों और हथियारों का इस्तेमाल कर सुरक्षाबलों को भारी नुकसान पहुंचाया था। इस हमले के पीछे भी हिडमा गिरोह का हाथ होने की आशंका जताई गई थी। सुरक्षा बलों पर हुए हमलों का बड़ा चेहरा था हिड़मा नक्सली नेता हिड़मा, जो कभी सुरक्षाबलों के लिए सिरदर्द बना रहा, कई खूंखार नक्सली हमलों का सूत्रधार रहा है। इन हमलों ने न केवल जान-माल का नुकसान किया, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती पेश की। हिडमा का पूरा नाम माड़वी हिड़मा है। वह पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की बटालियन-1 का प्रमुख था। यह बटालियन माओवादी कैडर की सबसे खतरनाक इकाइयों में से एक मानी जाती है। हिडमा को उसकी रणनीतिक कुशलता और सुरक्षाबलों के खिलाफ सफल हमलों के लिए जाना जाता था। वह गुरिल्ला युद्ध की तकनीकों, घात लगाकर हमला करने और बारूदी सुरंग बिछाने में माहिर था। उसकी उपस्थिति ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में माओवादी गतिविधियों को और अधिक संगठित और घातक बना दिया था। स्थानीय भौगोलिक जानकारी होने से वो अक्सर घने जंगलों और दुर्गम इलाकों का चुनाव करता था। ऐसे में सुरक्षाबलों के लिए पहुंचना मुश्किल हो जाता था। इन हमलों का उद्देश्य केवल जान-माल का नुकसान करना ही नहीं था, बल्कि सुरक्षाबलों के मनोबल को तोड़ना और सरकार के खिलाफ भय का माहौल बनाना भी था। हिडमा को भारत सरकार ने एक मोस्ट वांटेड नक्सली नेता घोषित किया था। उसे छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में नक्सल हमलों का कुशल रणनीतिकार माना जाता था। फिलीपींस में गोरिल्ला युद्ध की ली थीट्रेनिंग कद-काठी में छोटे से दिखने वाले हिडमा का नक्सली संगठन में बड़ा नाम है। बताया जाता है कि उसके नेतृत्व काबिलियत के बल पर ही उसे 13 साल की उम्र में नक्सलियों की टॉप सेंट्रल कमेटी का सदस्य बना दिया गया। उसकी परवरिश उस समय हुई जब सुकमा में नक्सली घटनायें चरम पर थीं। बताते हैं कि हिडमा केवल दसवीं तक पढ़ा था। बताया जाता है कि वह अपने साथ हमेशा एक नोटबुक लेकर चलता था, जिसमें वह अपने नोट्स लिखता रहता था। साल 2010 में ताड़मेटला में हुए हमले में सीआरपीएफ के 76 जवानों की शहादत में हिड़मा का नाम सामने आया था। इसके बाद साल 2013 में हुए झीरम हमले में भी हिडमा की भूमिका थी। इस हमले में कई बड़े कांग्रेसी नेताओं सहित 31 लोग दिवंगत हो गये थे। साल 2017 में बुरकापाल में हुए हमले में भी हिडमा की अहम भूमिका थी। इस हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान शहादत को प्राप्त हुए थे। बताते हैं कि हिडमा ने फिलीपींस में गोरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग ली थी।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 18, 2025, 19:22 IST
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