कृषि में नई क्रांति: शिवराज सिंह चौहान ने लॉन्च किए दो जीनोम-एडिटेड चावल की किस्म, लागत घटेगी और पानी बचेगा

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को राजधानी दिल्ली में दो नई जीनोम-एडिटेड चावल की किस्में लॉन्च कीं। इन किस्मों का नाम है डीआरआर राइस 100 (कमला) और पूसा डीएसटी राइस-1। इन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने विकसित किया है। ये दोनों किस्में खेती में क्रांति कृषि मंत्री ने कहा कि ये दोनों किस्में खेती में क्रांति ला सकती हैं। इनसे उत्पादन बढ़ेगा, पानी बचेगा औ लागत भी घटेगी। साथ ही, ये किस्में बदलते मौसम में भी अच्छी पैदावार देंगी। उन्होंने कहा, इससे करीब 750 करोड़ घन मीटर पानी की बचत होगी। यह देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। ये भी पढ़ें:-Ceasefire Violation: पाकिस्तान ने लगातार 11वें दिन तोड़ा संघर्षविराम, जवाब में गरज उठीं भारतीय सेना की बंदूकें कृषि मंत्री ने बताया कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए 6 बिंदुओं पर काम कर रही है। इसमें उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन लागत घटाना, फसल का सही दाम दिलाना, नुकसान की भरपाई करना, खेती में विविधता लाना और प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना शामिल है। उन्होंने कहा कि जो दो नई चावल की किस्में लॉन्च हुई हैं, वे उत्पादन लागत घटाने और उत्पादन बढ़ाने में मदद करेंगी। इससे न सिर्फ किसानों को फायदा होगा, बल्कि आम जनता को भी सस्ते और पोषक अनाज मिलेंगे। भारत को विश्व का अन्न भंडार बनाने का सपना कृषि मंत्री ने आगे कहा कि आने वाले समय में हमें भारत को दुनिया का फूड बास्केट यानी खाद्यान्न भंडार बनाना है। उन्होंने बताया कि भारत हर साल 48,000 करोड़ रुपये का बासमती चावल विदेशों में बेचता है, जो हमारे किसानों की मेहनत का नतीजा है। उन्होंने कहा कि अब जरूरत है कि हम सोयाबीन, अरहर, मसूर, उड़द, तिलहन और दूसरी दालों का उत्पादन भी तेजी से बढ़ाएं। ये भी पढ़ें:-UP : कानपुर में छह मंजिला इमारत में लगी आग, जूता कारोबारी, पत्नी, तीन बेटियों समेत छह की जलकर मौत क्या है जीनोम एडिटिंग तकनीक इन चावल की किस्मों को सीआरआईएसपीआर-सीएएस नाम की तकनीक से तैयार किया गया है। इसमें पौधे के जीन में बेहद सूक्ष्म बदलाव किए जाते हैं, लेकिन कोई बाहरी (विदेशी) जीन नहीं डाला जाता। यह तकनीक सुरक्षित मानी जाती है और भारत में इसे खेती के लिए मंजूरी मिल चुकी है। इस तकनीक के जरिए विकसित इन किस्मों में दो मुख्य फायदे हैं। जिसमें पहला ये है कि फसल जल्दी तैयार होती है। जबकि दूसरा फायदा ये है कि कम पानी में भी अच्छी पैदावार मिलती है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: May 05, 2025, 07:23 IST
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