नवविवाहिता आत्महत्या के लिए मजबूर हुई, न्याय दिलाना हमारी जिम्मेदारी: हाईकोर्ट

-मृतका की सास को अग्रिम जमानत देने से हाईकोर्ट ने किया इन्कार -जनवरी में हुआ था शिकायतकर्ता की बेटी का विवाह, अप्रैल में आत्महत्या---अमर उजाला ब्यूरोचंडीगढ़। विवाह के तीन माह पूरे होने से पहले ही ससुराल से प्रताड़ित होकर युवती के आत्महत्या करने के मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सास की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि इतनी कम अवधि में पीड़िता को जान देनी पड़ी और ऐसे में परिस्थितियों की जांच कर न्याय दिलाना हमारा कर्तव्य है। याचिका दाखिल करते हुए अमृतसर निवासी महिला ने बताया कि उसके बेटे का विवाह जनवरी 2025 में शिकायतकर्ता की बेटी से हुआ था। बेटा विदेश में रहता है। उसकी एक बेटी भी है जिसका पति भी विदेश में रहता है। ऐसे में बेटी भी उसके साथ ही रहती है। अप्रैल में महिला की बहू ने आत्महत्या कर ली थी और उसकी मां ने इसके लिए ससुरालवालों को जिम्मेदार बताया है। याची ने कहा कि वह एक वृद्ध महिला है और 2024 से बिस्तर पर है। वह अपने रोजाना के कार्य के लिए भी दूसरों पर निर्भर है और ऐसे में वह कैसे शिकायतकर्ता की बेटी को प्रताड़ित कर सकती है। शिकायत पक्ष के अनुसार याची व उसकी बेटी शिकायतकर्ता के हर काम में दखल देते थे और शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित करते थे। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बादे कहा कि एक जवान लड़की जिसके विवाद को तीन माह भी पूरे नहीं हुए थे उसे जान देनी पड़ी। कोर्ट इस मामले में आंखें नहीं मूंद सकता। पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए उन हालात का पता लगाना जरूरी है जिसने उसे इतना बड़ा कदम उठाने को मजबूर कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में याची से हिरासत में पूछताछ जरूरी है। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 24, 2025, 21:08 IST
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