पंजाब सरकार को नोटिस: जब सरेंडर करने का प्रावधान, तो गरीबी के कारण क्यों ली जा रही अपने ही बच्चों की जान
पंजाब में हाल ही में गरीबी के कारण अपनों द्वारा ही खुद के बच्चों की हत्या के मामलों का हवाला देते हुए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई। इस पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। किशोर न्याय अधिनियम के तहत यदि कोई बच्चों को नहीं रख सकता है तो उसे चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के पास सरेंडर करने का विकल्प होता है। इस कानून के प्रचार प्रसार न करने पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को जवाब देने का कहा है। यह भी पढ़ें:पंजाब में राहत नहीं:बाढ़ का दायरा बढ़ा, 10 जिलों के 900 गांव चपेट में; आठ लोगों की जा चुकी है जान मोहाली निवासी कंवर पाहूल सिंह ने याचिका दाखिल करते हुए बताया कि तीन अक्तूबर 2023 को जालंधर में गरीबी के कारण एक प्रवासी दंपती ने अपनी तीन नाबालिग बेटियों को कथित तौर पर जहर दे दिया और उनके शवों को एक ट्रंक में डाल दिया था। एक अन्य दुखद घटना का भी जिक्र किया गया है जिसमें 22 मई 2025 को मोहाली के बलौंगी गांव में एक नवजात बच्ची को सड़क किनारे एक बाल्टी में छोड़ दिया गया था। इसके अलावा 18 अगस्त 2025 की एक और घटना का हवाला दिया गया है, जिसमें जालंधर में छह महीने की बच्ची की उसके नाना-नानी द्वारा कथित तौर पर गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी। याचिकाकर्ता ने इस बात पर जोर दिया कि ये घटनाएं दर्शाती हैं कि पंजाब में किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधान को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जा रहा है। सरकार को अधिनियम के बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए। याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि उन्होंने 22 मई 2025 को इन मुद्दों पर अधिकारियों को एक प्रतिनिधित्व भेजा था लेकिन 60 दिन की कानूनी समय सीमा बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। एक्ट के अनुसार यदि कोई अपने बच्चों को रख नहीं सकता है तो उन्हें चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को सौंप सकता है। कमेटी दो महीने विचार करने का मौका देती है ओर इसके बाद बच्चे को गोद लेने के लिए योग्य करार देती है। किसी को भी अपने बच्चों को गरीबी के कारण मारने का अधिकार नहीं दिया जा सकता है। लोगों को इस प्रावधान की जानकारी नहीं है तभी इस प्रकार की दुखद घटनाएं सामने आ रही हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Aug 30, 2025, 09:26 IST
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