तेल बाजार में नया समीकरण: पाम हुआ कमजोर, सोया-सूरजमुखी की बढ़ी मांग; क्यों लोगों की पसंद बन रहा ये सॉफ्ट ऑयल?
भारत के खाद्य तेल बाजार में इस दिनों बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। लंबे समय तक रसोई के तेल के आयात में सबसे आगे रहने वाला पाम तेल अब अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। इसकी जगह सोयाबीन और सूरजमुखी तेल की मांग तेजी से बढ़ी है। इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के अनुसार, यह बदलाव पूरी तरह से बाजार की परिस्थितियों और वैश्विक आपूर्ति में आए उतार-चढ़ाव का नतीजा है। बीते कुछ वर्षों में पाम तेल का आयात करीब 70 से 80 लाख टन के बीच स्थिर बना हुआ है, जबकि अन्य तेलों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ती जा रही है। वहीं, सोयाबीन तेल के आयात में तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह पहले जहां लगभग 35 लाख टन था, अब बढ़कर करीब 50 लाख टन तक पहुंच गया है। इसी तरह सूरजमुखी तेल का आयात भी 25 लाख टन से बढ़कर लगभग 35 लाख टन हो गया है। बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि, इस बदलाव के पीछे सबसे बड़ा कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव और आपूर्ति की अनिश्चितता है। इन दोनों कारणों ने उपभोक्ताओं और कंपनियों को पाम तेल की जगह अन्य विकल्पों की ओर मोड़ दिया है। शहरी परिवारों और ब्रांडेड उत्पाद बनाने वाली कंपनियों के बीच अब सॉफ्ट यानी हल्के और मिश्रित तेलों की मांग तेजी से बढ़ी है। इस रुझान को स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता, स्वाद की प्राथमिकता और कंपनियों के आक्रामक प्रचार अभियानों ने और मजबूत किया है। नतीजतन, भारत में खाद्य तेलों की खपत और आपूर्ति का ढांचा अब पहले से कहीं ज्यादा विविध होता जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में भारत को अपने तिलहन उत्पादन से लेकर बीज गुणवत्ता, किसानों की तकनीकी मदद, बाजार तक पहुंच और निष्पक्ष व्यापार ढांचे को मजबूत करना होगा। इससे न सिर्फ आयात पर निर्भरता घटेगी, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए कीमत भी स्थिर रहेंगी। क्योंकि भारत का खाद्य तेल क्षेत्र हमेशा से वैश्विक परिस्थितियों के साथ कदम मिलाकर चलता आया है। मौजूदा बदलाव भी उसी क्रम की एक नई कड़ी है। जो किसी योजना का नतीजा नहीं, बल्कि कीमतों, नीतियों और आपूर्ति की वास्तविकता से उपजी है। अब सबसे अहम चुनौती इस बदलाव को रणनीतिक अवसर में बदलने की है, ताकि देश में घरेलू उत्पादन, रोजगार सृजन और दीर्घकालिक स्थिरता को नई दिशा मिल सके। इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन का कहना है कि, इंडोनेशिया और मलेशिया में लागू बायोडीजल नीतियों और मौसम से जुड़ी चुनौतियों के कारण पाम तेल की आपूर्ति सीमित रही है। इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम तेल की कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं। इसके उलट, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल की कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर हैं और इनका आयात दक्षिण अमेरिका तथा ब्लैक सी क्षेत्र जैसे विभिन्न स्रोतों से होने के कारण भारतीय बाजार को अधिक लचीलापन मिल रहा है। एसोसिएशन ने यह भी बताया कि नेपाल से शुल्क-मुक्त रिफाइंड सोयाबीन तेल का आयात घरेलू उद्योग के लिए चुनौती बन गया है। यह व्यवस्था एसएएफटीए और भारत-नेपाल व्यापार संधि के तहत संभव हुई है। इससे जहां क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा मिला है, वहीं भारतीय रिफाइनरियों पर दबाव बढ़ा है। बिना शुल्क आने वाले इस रिफाइंड तेल ने स्थानीय रिफाइनरियों की क्षमता उपयोग दर घटा दी है और उनके लाभ मार्जिन पर नकारात्मक असर डाला है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 08, 2025, 16:16 IST
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