कर्नाटक में विपक्ष लाने वाली है अविश्वास प्रस्ताव, CM सिद्धारमैया ने क्या कहा?
कर्नाटक की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। शीतकालीन सत्र शुरू होने से ठीक पहले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने विपक्ष को सीधा संदेश देते हुए कहा है कि उनकी सरकार किसी भी प्रस्ताव का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है। 8 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलने वाले इस सत्र से पहले राज्य की राजनीतिक फिज़ा में अविश्वास प्रस्ताव की सुगबुगाहट तेज है। शनिवार को मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, “वे (विपक्ष) अविश्वास प्रस्ताव लाएं, स्थगन प्रस्ताव लाएं या कोई और प्रस्ताव—हम हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। हमारी सरकार खुली किताब की तरह है, पारदर्शी है।” उनके साथ उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार भी मौजूद थे, जिनके साथ पिछले कुछ सप्ताह से नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएँ चल रही थीं। मुख्यमंत्री के इस बयान के ठीक उलट भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव लाने के संकेतों से फिलहाल इनकार किया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र और नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक ने कहा कि भाजपा और जेडीएस ने इस तरह की किसी कार्रवाई पर अभी तक कोई चर्चा नहीं की है। इसके बावजूद विपक्ष के भीतर इस मुद्दे पर रणनीति बनाने की हलचल जारी है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल का आधा हिस्सा पूरा होते ही नेतृत्व परिवर्तन की खबरों ने कांग्रेस के भीतर बेचैनी बढ़ाई है, जिसे विपक्ष भुनाने की कोशिश कर सकता है। कांग्रेस के भीतर CM और Deputy CM के बीच शक्ति संतुलन को लेकर अफवाहें तेज थीं, जिन्हें लेकर पार्टी हाईकमान भी सतर्क नजर आ रहा है। सिद्धारमैया ने एक बार फिर स्पष्ट कहा कि नेतृत्व का फैसला हाईकमान पर ही छोड़ दिया गया है और वे तथा डी.के. शिवकुमार दोनों आलाकमान के निर्देशों का पालन करेंगे। शनिवार को एक दिलचस्प राजनीतिक दृश्य तब सामने आया जब डी.के. शिवकुमार ने AICC अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 69वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दिलाने के बाद एयरपोर्ट तक छोड़ा। दोनों के बीच हुई संभावित बातचीत ने सियासी गलियारों में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को और हवा दे दी। पिछले दिनों हाईकमान के निर्देश पर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने एक-दूसरे के आवास पर दो बार नाश्ते की बैठकें की थीं। इन बैठकों को सत्ता संतुलन साधने की प्रक्रिया के तौर पर देखा गया। आधे कार्यकाल के बाद नेतृत्व परिवर्तन की परंपरा को लेकर भी कांग्रेस में चर्चा है, लेकिन अब तक आधिकारिक तौर पर कुछ स्पष्ट नहीं है। अब जब सत्र की गिनती शुरू हो चुकी है, कांग्रेस सरकार विपक्ष की रणनीति का इंतजार कर रही है, जबकि भाजपा और जेडीएस अपने पत्ते छिपाकर चल रहे हैं। मुख्यमंत्री का आत्मविश्वास भरा बयान कांग्रेस की अंदरूनी मजबूती दिखाने की कोशिश माना जा रहा है। 8 दिसंबर से शुरू होने वाला यह सत्र राज्य की राजनीति में बड़ा मोड़ ला सकता है या विपक्ष की दुविधा के चलते एक मौका हाथ से निकल सकता है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 07, 2025, 03:12 IST
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