UP: बिरहा गायन को नया कलेवर देने वाले बालेश्वर यादव को किया याद, कई कलाकार कॉपी कर रहे उनकी स्टाइल
बिरहा गायन में देश-दुनिया में उत्तर प्रदेश का नाम रोशन करने वाले यश भारती सम्मान प्राप्त बालेश्वर यादव बृहस्पतिवार को पुण्यतिथि पर विभिन्न स्थानों पर याद किए गए। किसी ने उनकी गायन शैली की तारीफ की तो किसी ने उनकी सामाजिक रचनाशीलता को याद किया। बालेश्वर यादव को बिरहा गायन की दुनिया का सुपरस्टार कहा जाता है। उनके गाने आज भी बिहार, यूपी, झारखंड में बड़े शौक से सुने जाते हैं। ये रचना बालेश्वर यादव की थी। वर्ष 1942 में जन्मे बालेश्वर को यश भारती सम्मान से भी नवाजा गया। उन्होंने नौ जनवरी 2011 को लखनऊ के सिविल अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनकी पुण्यतिथि पर बेटे अवधेश बालेश्वर की ओर से आयोजित समारोह में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान संजय लाल यादव, संतोष कुमार, अंगद राय, सतेंद्र राम, एसपी चौहान, सुरेश कुशवाहा, पवन यादव आदि मौजूद रहे। देश ही नहीं दुनियाभर में लहराया परचम मऊ जिले के छोटे से गांव बदनपुर से निकले बालेश्वर राजभर कुछ ही समय में भोजपुरी/अवधी के प्रसिद्ध लोकगायक बन गए। उन्होंने देखा कि बिरहा गायन किसी न किसी रूप में यादव बिरादरी के बीच प्रमुख लोकगीत बनकर उभरा है तो उन्होंने अपनी टाइटल बालेश्वर यादव कर दिया। इसके बाद वह देश ही नहीं विदेश में भी बालेश्वर यादव नाम से ही प्रसिद्ध हुए। उन्होंने बिरहा के द्वारा समाज में फैली कुरीतियां, अशिक्षा, निर्धनता, बेरोजगारी, दहेज़ प्रथा, बालविवाह, जातिप्रथा, धर्मान्धता, नशाखोरी, संकीर्ण राजनीति जैसी अन्य समस्याओं पर गहरा प्रभाव डाला है। सन 1962 में सांसद झारखंडे राय के संपर्क में आकर लखनऊ रेडियो स्टेशन से लोकगीत का प्रोग्राम देने का मौका मिला। फिर यहीं से वह बिरहा के चाहने वालों के दिल की धड़कन बन गए। बालेश्वर यादव ने भोजपुरी लोकगीत का झंडा न सिर्फ देश में बल्कि विदेश जैसे गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद, मारीशस, फिजी एवम हालैंड आदि देशों में भी बुलंद किया। इंडियन आइडल 15 में गाया हुआ एक गाना चटनियां सिलवट पर पीसी आजकल सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इस गीत को गाते वक्त राधा श्रीवास्तव ने बालेश्वर को कापी किया। वह स्टेज से रई..रई.. रई करके गाने की शुरुआत करते ही वाहवाही बटोर रही हैं। कहा जाता है कि बालेश्वर यादव के गाने से प्रेरणा लेकर अनजान ने अमिताभ बच्चन की आज का अर्जुन'' में गाना शामिल किया था चली आना तू पान की दुकान पे साढ़े तीन बजे। प्रमुख गाए हुए गीत - दुश्मन मिले सवेरे लेकिन मतलबी यार ना मिले - हम कोइलरी चली जाइब ए ललमुनिया के माई - बिकाई ए बाबू बीए पास घोड़ा - चलीं ए धनिया ददरी क मेला - हमार बलिया बीचे बलमा हेराइल सजनी - अपने त भइल पुजारी ए राजा, हमार कजरा के निहारी ए राजा - बाबू क मुंह जैसे फ़ैज़ाबादी बंडा, दहेज में मांगेलें हीरो होंडा - मूरख मिले बलेसर, पर पढ़ा-लिखा गद्दार ना मिले, - पान खा ला मुन्नी साढ़े तीन बजे मुन्नी - तीन बजे मुन्नी जरूर मिलना, साढ़े तीन बजे।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Jan 10, 2025, 09:22 IST
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