Una News: भूमि के स्वामित्व को लेकर दायर याचिका खारिज
पूर्वजों के समय से पक्षकार कर रहे हैं भूमि का इस्तेमाल2022 में राजस्व विभाग ने दिया था कब्जे हटाने को लेकर नोटिसजिला अदालत ने निचली अदालत के निर्णय को रखा बरकरारसंवाद न्यूज एजेंसीऊना। जिला न्यायाधीश ऊना की अदालत ने भूमि के स्वामित्व को लेकर दायर याचिका को जुर्माने सहित खारिज करते हुए निचली अदालत के निर्णय को बरकरार रखा है। अदालत ने सभी पक्षकारों को 27 नवंबर को मामले में निचली अदालत के समक्ष पेश होने के निर्देश दिए हैं। मामले में उप तहसील ईसपुर के गांव भैणी खड्ड निवासी अशोक कुमार, मदन लाल, गिरधारी लाल पुत्र बेली राम और कृष्ण कुमार पुत्र प्रकाश चंद ने भूमि के विवाद को लेकर निचली अदालत के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने प्रतिवादी को भूमि पर जबरन कब्जा करने से रोकने की मांग की थी। पक्षकारों के वकील की ओर से अदालत में बताया गया कि वादी अपने पूर्वजों के समय से ही स्थायी निवासी अधिकार धारक और बरतनदार हैं। वादग्रस्त भूमि हिमाचल प्रदेश राज्य के स्वामित्व में दर्ज है, फिर भी उस पर गांव के बरतनदारों का कब्जा है। गांव के मालिक, अधिकार धारक और बरतनदार होने के नाते उन्हें शामलात और सरकारी भूमि आदि पर समान अधिकार प्राप्त है, इसलिए वादग्रस्त भूमि पर उनका कानूनी रूप से अधिकार है। उस भूमि पर पक्षकारों की पशुशाला और आवासीय घर मौजूद हैं। इन्हीं तर्कों को लेकर उन्होंने याचिका जिला अदालत में दायर की थी। इससे पहले प्रतिवादी पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि पक्षकारों ने वाद भूमि के कुछ भाग पर पशुशाला और आवासीय भवन बनाकर अतिक्रमण कर लिया है। इसलिए वे हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम की धारा 163 के प्रावधानों के अनुसार हिमाचल प्रदेश राज्य के स्वामित्व में दर्ज भूमि से बेदखल किए जाने के पात्र हैं। सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए तत्कालीन नायब तहसीलदार-सह-सहायक कलेक्टर द्वितीय श्रेणी उप तहसील ईसपुर ने 2022 को नोटिस भी जारी किया था। बॉक्स कोई भी दावा नहीं कर सकता निचली अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों और अभिलेखों में प्रस्तुत दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद 01-10-2024 के आक्षेपित आदेश में यह माना था कि वादाधीन भूमि हिमाचल प्रदेश राज्य के स्वामित्व में दर्ज है और बरतनदार के कब्जे में है। वादी दावा कर रहे हैं कि वादाधीन भूमि पर उनका कब्जा है और वे ग्रामीण होने के नाते इसका उपयोग कर रहे हैं। हालांकि, हिमाचल प्रदेश ग्राम साझा भूमि अधिकार और उपयोग अधिनियम 1974 की धारा-तीन के अनुसार यह भूमि हिमाचल प्रदेश राज्य में सभी प्रकार के भारों से मुक्त होकर निहित है और इस प्रकार कोई भी व्यक्ति अधिकार का दावा नहीं कर सकता है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 22, 2025, 17:25 IST
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