Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष के पहले और आखिरी दिन ग्रहण का साया, जानें ग्रहण का समय और श्राद्ध करने का मुहूर्त

Chandra Grahan Effects On Shradh: पितृपक्ष को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र समय माना गया है। यह सोलह दिन हमारे उन पूर्वजों की स्मृति और कृतज्ञता को समर्पित होते हैं, जिनकी वजह से आज हमारी जीवन यात्रा संभव है। धार्मिक मान्यता है कि पितृ लोक से हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध से तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं। इस कारण पितृपक्ष में किए गए कर्मकांड न केवल पितरों की आत्मा को शांति देते हैं, बल्कि घर-परिवार में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करते हैं। Pitru Paksha 2025:पितरों को अर्पित न करें ये सब्जियां, असंतुष्ट रह जाते हैं पितृ इस वर्ष पितृपक्ष की विशेषता और भी अनोखी मानी जा रही है क्योंकि इसकी शुरुआत और समापन दोनों ही दिन ग्रहण का साया रहेगा। यह संयोग काफी दुर्लभ माना जाता है। स्वाभाविक रूप से लोगों के मन में प्रश्न उठ रहा है कि क्या ग्रहण का असर श्राद्ध और तर्पण जैसे धार्मिक कार्यों पर पड़ेगा क्या इससे पूजा-पाठ में किसी प्रकार की बाधा आएगी या फिर ग्रहणकाल के बाद शुभ मुहूर्त में इन कर्मकांडों को करना उतना ही फलदायी रहेगा जितना सदियों से परंपरा में होता आया है। ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि ग्रहण की अवधि में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और पितृपक्ष में श्राद्ध पूजा के कौन से समय को सबसे शुभ माना जाएगा। इसी के साथ हम यह भी समझेंगे कि पितृपक्ष में सही रीति-नीति से किए गए कर्मकांड किस प्रकार परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बनाए रखते हैं। Bhado Purnima:क्या चंद्र ग्रहण के साथ रख सकते हैं पूर्णिमा का व्रत जानें सही नियम

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 06, 2025, 12:38 IST
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