Heeraben Death: हीराबा ने घर चलाने के लिए दूसरों के घरों में बर्तन भी धोए, बच्चों-महिलाओं का घरेलू नुस्खों से
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन का आज अल सुबह अहमदाबाद के निजी अस्पताल में निधन हो गया। हीरा बा का जन्म गुजरात के पालनपुर में हुआ था। शादी के बाद वह वडनगर शिफ्ट हो गई थीं। हीराबा की उम्र तब महज 15-16 साल थी, जब उनकी शादी हुई थी। घर की आर्थिक और पारिवारिक स्थिति कमजोर होने के चलते उन्हें पढ़ने का मौका नहीं मिला, लेकिन वह अपने बच्चों को शिक्षा देने के लिए दूसरे के घरों में भी काम करने के लिए तैयार हो गईं। उन्होंने फीस भरने के लिए कभी किसी से उधार पैसे नहीं लिए। हीरा बा चाहती थीं कि उनके सभी बच्चे पढ़ लिखकर शिक्षित बनें। पीएम मोदी का मां हीरा बा के प्रति प्रेम और सम्मान जगजाहिर है। वे अक्सर अपनी मां की बातों को याद किया करते हैं। उन्होंने कई कार्यक्रमों में हीराबेन का जिक्र भी किया। कई बार तो वे पुराने दिनों की याद कर भावुक भी हो जाते थे। दरअसल, हीराबेन उर्फ हीराबा का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। पूरा गांव उन्हें डॉक्टर कहता था पीएम मोदी के भाई प्रह्लाद मोदी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि मां हीरा बा सभी तरह के घरेलू उपचार जानती थीं। वडनगर के छोटे बच्चों और महिलाओं का इलाज करती थीं। कई महिलाएं अपनी परेशानी दूसरों को बताने के बजाय हीरा बा को बताती थीं। मेरी मां जरूर अनपढ़ थीं, लेकिन पूरा गांव उन्हें डॉक्टर कहता था। स्पनेशि फ्लू से हुआ था पीएम मोदी की नानी का निधन हीरा बा के 100 वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा कि उनकी मां हीराबेन का जन्म गुजरात के मेहसाणा जिले के विसनगर के पालनपुर में हुआ था। यह वडनगर के काफी करीब है। हीरा बा की मां यानी पीएम मोदी की नानी का स्पेनिश फ्लू महामारी से अल्प आयु में ही निधन हो गया था। हीराबेन को अपनी मां का चेहरा भी याद नहीं था। हीरा बा ने अपना पूरा बचपन अपनी मां के बिना बिताया। हीरा बा का बचपन गरीबी और अभावों में बीता। परिवार चलाने के लिए चरखा भी चलाती थीं हीरा बा पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा था कि कैसे उनकी मां न केवल घर के सभी काम खुद करती थीं, बल्कि परिवार पालने के लिए दूसरों के यहां काम भी करती थीं। वह कुछ घरों में बर्तन धोती थीं और घर के खर्चों को पूरा करने के लिए चरखा चलाने के लिए समय निकालती थीं। पीएम मोदी वडनगर के उस छोटे से घर को अक्सर याद करते थे, जिसकी छत और दीवारें मिट्टी की थी। जहां वे अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ रहते थे। उन्होंने उन असंख्य रोजमर्रा की प्रतिकूलताओं का उल्लेख किया था, जिनका सामना उनकी मां ने किया और सफलतापूर्वक उन पर विजय प्राप्त की थी।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 30, 2022, 07:19 IST
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