देहरादून: मां की खराब जीवनशैली से बच्चों में जन्मजात मानसिक विकार, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से नजदीकी बनी परेशानी

बच्चों में जन्मजात मानसिक विकार का कारण मां की गर्भावस्था के दौरान खराब जीवनशैली है। बच्चों में इसके लक्षण ऑटिज्म, एडीएचडी और मस्तिष्क के असंतुलित सर्किट के रूप में सामने आ रहे हैं। जिला चिकित्सालय के बाल रोग विभाग की ओपीडी में हर 30 में से एक मरीज इस बीमारी की चपेट में मिल रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार गर्भावस्था के दौरान मां की लाइफ स्टाइल का भ्रूण पर सीधा असर पड़ता है। पेट में पल रहा बच्चा स्वस्थ हो इसके लिए मां का शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है। खासकर गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीनों में भ्रूण की एक्टोडर्म, मेसोडर्म और एंडोडर्म नाम की तीन प्राथमिक जनन परतें विकसित होती हैं। जिला चिकित्सालय की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नीतू ने बताया कि आज के समय में अनियोजित गर्भधारण करने वालों का प्रतिशत काफी ज्यादा है। उनको दो-तीन महीने तक गर्भावस्था की जानकारी ही नहीं हो पाती होती है। इस दौरान शरीर में फॉलिक एसिड की कमी होने से कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती हैं। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान फोन और टीवी समेत अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का अधिक इस्तेमाल करने से उनसे उत्सर्जित ब्लू लाइट का असर भी भ्रूण पर पड़ता है। इससे न्यूरल ट्यूब प्रभावित होता है। जो कई तरह के जन्मजात मानसिक विकार का कारण बनता है। चिकित्सक के मुताबिक फोन से स्ट्रेस हार्माेन भी उत्पन्न होता है। उनकी ओपीडी में हर रोज दो से तीन मरीजों इसी तरह की जन्मजात बीमारियों से पीड़ित आ रहे हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 25, 2025, 13:08 IST
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