Francis: कैथोलिक चर्च में बदलाव लाने वाले पहले गैर-यूरोपीय पोप फ्रांसिस; सफाईकर्मी से धर्मगुरु तक ऐसा रहा सफर
फ्रांसिस के पोप का पद ग्रहण करने से पहले कई घटनाएं उनसे जुड़ी। वह अमेरिका या दक्षिणी गोलार्ध से आने वाले पहले पोप थे। सीरिया में जन्मे ग्रेगरी तृतीय की 741 में मृत्यु के बाद से रोम में कोई गैर-यूरोपीय बिशप नहीं था। वह सेंट पीटर के सिंहासन पर निर्वाचित होने वाले पहले जेसुइट भी थे। ऐतिहासिक तौर से रोम में जेसुइट्स को शक की नजर से देखा जाता था। उनके पूर्ववर्ती, बेनेडिक्ट 16 वें लगभग 600 वर्षों में स्वैच्छिक तौर से सेवानिवृत्त होने वाले पहले पोप थे। कैथोलिकों का मानना था कि नया पोप कोई युवा शख्स होगा, लेकिन अर्जेंटीना के कार्डिनल बर्गोग्लियो जब 2013 में पोप बने तो उनकी उम्र 70 से अधिक थी। उन्होंने खुद को एक समझौतावादी उम्मीदवार के तौर पर पेश किया था। यौन मामलों पर अपने विचारों से रूढ़िवादियों को आकर्षित किया तो सामाजिक न्याय पर अपने उदारवादी रुख से सुधारकों को लुभाया। शानो-शौकत के बजाय विनम्रता को तरजीहलिमोजिन से दूरी चुनाव के वक्त से ही फ्रांसिस ने संकेत दे दिया था कि वे चीजों को अलग ढंग से करेंगे। उन्होंने कार्डिनल्स का स्वागत पोप के सिंहासन पर बैठने के बजाय खड़े होकर किया। वह शानो-शौकत और भव्यता के बजाय विनम्रता को तरजीह देने के लिए दृढ़ संकल्पित थे। उन्होंने पोप की लिमोजिन से दूरी बना ली और साझा बस पर जोर दिया। नए पोप ने 1.2 अरब की आबादी वाले चर्च के लिए एक नैतिक मिशन तय किया कैथोलिक चर्च के प्रमुख के तौर पर उनका आखिरी काम ईस्टर पर रविवार को सेंट पीटर्स स्क्वायर की बालकनी में मौजूद होना था। यहां उन्होंने कई हफ्ते तक अस्पताल में रहने के बाद श्रद्धालुओं का हाथ हिलाकर अभिवादन किया था। क्लब बाउंसर का भी काम किया जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो नाम से वह 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में पैदा हुए। बचपन में गंभीर निमोनिया के बाद फेफड़ों के एक हिस्सा निकाल देने के कारण उन्हें जिंदगी भर संक्रमण का खतरा रहा। एक दशक बाद उन्हें दीक्षा दी गई। 1973 में अर्जेंटीना के प्रांतीय सुपीरियर बने। युवा बर्गोग्लियो ने रसायनज्ञ के तौर पर स्नातक होने से पहले नाइट क्लब बाउंसर और फर्श सफाई कर्मचारी के रूप में काम किया था। ये भी पढ़ें:कौन होगा पोप फ्रांसिस का उत्तराधिकारी रेस में दुनियाभर के कई आर्चबिशप शामिल सबसे गरीबों को नजरअंदाज करने वाली सरकारों का किया विरोध 1992 में ब्यूनस आयर्स के सहायक बिशप बने। फिर आर्कबिशप बने। पोप जॉन पॉल द्वितीय ने उन्हें 2001 में कार्डिनल बनाया और उन्होंने चर्च की सिविल सेवा, क्यूरिया में पद संभाला। वे वरिष्ठ पादरी के दिखावाें से दूर रहे। वे आमतौर पर इकॉनमी क्लास में यात्रा करते थे और अपने नए पद के लाल और बैंगनी रंग के बजाय काला गाउन पहनना पसंद करते थे। अपने उपदेशों में, उन्होंने समाज के सबसे गरीब लोगों पर ध्यान देने में नाकाम सरकारों की आलोचना की। ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का पूरा जीवन धर्म के प्रचार-प्रसार व चर्च की सेवा में समर्पित था। पोप दुनियाभर में काफी लोकप्रिय थे। जल्दी ही अगले पोप के चयन की प्रक्रिया शुरू होगी, जो कार्डिनल का एक प्रतिनिधिमंडल करेगा। यह पोप की तरफ से नियुक्त कैथोलिक चर्च के सबसे वरिष्ठ पादरी होते हैं। कार्डिनल ही तय करेंगे कि कॉन्क्लेव कब शुरू होगा। ये भी पढ़ें:सेंट मैरी मेजर बैसिलिका में दफन किये जाएंगे पोप फ्रांसिस, अपनायी जाएगी ये प्रक्रिया
- Source: www.amarujala.com
- Published: Apr 22, 2025, 06:25 IST
Francis: कैथोलिक चर्च में बदलाव लाने वाले पहले गैर-यूरोपीय पोप फ्रांसिस; सफाईकर्मी से धर्मगुरु तक ऐसा रहा सफर #World #International #SubahSamachar