Manipur: मणिपुर में लगा राष्ट्रपति शासन, बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से पिछले सप्ताह दिया था इस्तीफा
मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है।राज्य के सीएम एन बीरेन सिंह ने 9 फरवरी 2025 को इस्तीफा दिया था, जिसके बाद राज्यपाल अजय भल्ला ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की । इससे पहले आज मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला और अर्धसैनिक बल के अधिकारियों ने आज ही राजभवन में बैठक की थी।मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा के चलते बीरेन सिंह की लगातार आलोचना हो रही थी। किन परिस्थितियों में लगाया जाता है राष्ट्रपति शासन अगर चुनाव के बाद किसी पार्टी को बहुमत न मिलाहो जिस पार्टी को बहुमत मिला हो वह सरकार बनाने से इनकार कर दे और राज्यपाल को दूसरा कोई ऐसा दल नहीं मिले जो सरकार बनाने की स्थिति में हो राज्य सरकार विधानसभा में हार के बाद इस्तीफा दे दे और दूसरे दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं हो राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के संवैधानिक निर्देशों का पालन ना किया हो कोई राज्य सरकार जान-बूझकर आंतरिक अशांति को बढ़ावा या जन्म दे रही हो राज्य सरकार अपने संवैधानिक दायित्यों का निर्वाह नहीं कर रही हो ये भी जानें राष्ट्रपति शासन के लागू होने के दो महीनों के भीतर संसद के दोनों सदनों के द्वारा अनुमोदन हो जाना चाहिए। दोनों सदनों में इसका अनुमोदन होने के बाद राष्ट्रपति शासन छह महीने तक चल सकता है। भारत में अब तक करीब 125 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है। भारत में राष्ट्रपति शासन सबसे पहले पंजाब में साल 1951 में लगाया गया था। राष्ट्रपति शासन लगने के बाद क्या बदलाव होते हैं राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद को भंग कर देतेहैं राज्य सरकार के कार्य राष्ट्रपति के पास चले जाते हैंऔर उसपर राज्यपाल और अन्य कार्यकारी अधिकारियों की शक्तियां प्राप्त हो जातीहैं राष्ट्रपति शासन में राज्यपाल राज्य सचिव या राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किसी सलाहकार की सहायता से शासन चलातेहैं राष्ट्रपति अगर चाहे तो ये घोषणा कर सकते हैंकि राज्य विधायिका की शक्तियों का प्रयोग संसद करेगी संसद, राज्य के विधेयक और बजट प्रस्ताव को पारितकर सकती है संसद को यह अधिकार मिल जाता है कि वह राज्य के लिए कानून बनाने की शक्ति राष्ट्रपति अथवा उनके द्वारा किसी नामित अधिकारी को दे सकती है जब संसद नहींचल रही हो तो राष्ट्रपति राज्य के लिए कोई अध्यादेश जारी कर सकता है राष्ट्रपति शासन में क्या होता है भारत में राष्ट्रपति को तीन धाराओं के तहत आपातकाल की घोषणा की शक्ति प्राप्त है। धारा 352 के तहत युद्ध या विदेशी आक्रमण की स्थिति में राष्ट्रीय आपातकाल लगाया जा सकता है। तो धारा 360 के तहत आर्थिक आपातकाल लगाया जा सकता है। राष्ट्रपति शासन की अवधि छह महीने या एक साल की होती है। अगर राष्ट्रपति शासन को एक साल पूरा होने के बाद भी आगे बढ़ाना होता है तो इसके लिए चुनाव आयोग की अनुमति लेनी होती है। अगर चुनाव आयोग सहमति दे भी देता है तो राष्ट्रपति शासन तीन साल की अवधि से ज्यादा नहीं लगाया जा सकता। राष्ट्रपति शासन के दौरान भी राज्यपाल राजनीतिक पार्टियों को बहुमत साबित करने के लिए न्योता दे सकते हैं। किन परिस्तिथियों में विधानसभा को भंग किया जा सकता है: जब राज्य में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है और अन्य दलों के नेता मिलकर सरकार नहीं बना पाते हैं तो राज्यपाल विधानसभा को भंग कर देता है। संविधान के अनुच्छेद 356 के अनुसार, यदि एक राज्य सरकार, केंद्र सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुपालन में अपनी कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग करने में विफल रहती है या सरकार संविधान के अनुसार बताये गए नियमों का पालन नहीं करती है, तो उस राज्य का राज्यपाल इसकी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजता है जो कि केंद्रीय कैबिनेट की परामर्श के अनुसार राज्य में विधान सभा को भंग कर राष्ट्रपति शासन लगा सकता है। यदि राज्य में चल रही गठबंधन सरकार अल्पमत में आ जाती है अन्य दलों के पास सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत नहीं है तो ऐसी स्थिति में राज्यपाल नए चुनाव कराने के उद्देश्य से राज्य की विधानसभा को भंग कर सकता है। यदि विधानसभा चुनाव अपरिहार्य कारणों (जैसे राज्य का विभाजन, बाहरी आक्रमण इत्यादि) से स्थगित कर दिए गए हैं तो भी राज्यपाल विधानसभा को भंग कर सकता है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Feb 13, 2025, 18:18 IST
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