क़तील शिफ़ाई: वो शख़्स कि मैं जिस से मोहब्बत नहीं करता

वो शख़्स कि मैं जिस से मोहब्बत नहीं करता हँसता है मुझे देख के नफ़रत नहीं करता पकड़ा ही गया हूँ तो मुझे दार पे खींचो सच्चा हूँ मगर अपनी वकालत नहीं करता क्यूँ बख़्श दिया मुझ से गुनहगार को मौला मुंसिफ़ तो किसी से भी रिआ'यत नहीं करता घर वालों को ग़फ़लत पे सभी कोस रहे हैं चोरों को मगर कोई मलामत नहीं करता किस क़ौम के दिल में नहीं जज़्बात-ए-बराहीम किस मुल्क पे नमरूद हुकूमत नहीं करता देते हैं उजाले मिरे सज्दों की गवाही मैं छुप के अँधेरे में इबादत नहीं करता भूला नहीं मैं आज भी आदाब-ए-जवानी मैं आज भी औरों को नसीहत नहीं करता इंसान ये समझें कि यहाँ दफ़्न ख़ुदा है मैं ऐसे मज़ारों की ज़ियारत नहीं करता दुनिया में 'क़तील' उस सा मुनाफ़िक़ नहीं कोई जो ज़ुल्म तो सहता है बग़ावत नहीं करता हमारे यूट्यूब चैनल कोSubscribeकरें।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 28, 2025, 11:50 IST
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