'उनके कैसेट्स सुनकर सीखा..आज मुझे सुनकर लोगों को उनकी याद आती है', बेटे ने सुनाए अज़ीज़ नाज़ा से जुड़े किस्से

आप बहुत छोटे थे जब अज़ीज़ नाज़ा साहब का इंतकाल हुआ। उनकी हल्की स्मृतियां क्या हैं आपके जहन में स्मृतियां ये हैं कि कव्वाली को उन्होंने जो आयाम दिया, जिस तरह से प्रस्तुत किया और जिस शान के साथ वो स्टेज पर परफॉर्म करते थे। मैं बहुत लाड़ला था उनका तो एक-दो लाइव शोज में वो मुझे लेकर गए थे। स्टेज पर मुझे अपने साथ ही बैठाते थे। धुंधली यादें हैं उनकी कि जब वो गाते थे तो आवाम उनको ही देखती थी। उनका शेर पढ़ने का तरीका और उनके अल्फाज और म्यूजिक। इन सभी चीजों ने मेरा संगीत के प्रति रुझान बनाया। उनके ना रहने के बाद तो मैं इसके प्रति और मेहनत करने लगा। उनकी विरासत संभालना आसान नहीं है। ये बड़ी चुनौती होती है जब महफिल में लोग मुझसे कहते हैं कि उन्होंने मेरे पिता को सुना है और आज मुझे सुनना चाहते हैं। इसके बाद जब वो कहते हैं कि आपने हमें आपके पिता की याद दिला दी तो यह मेरे लिए बहुत बड़ी तारीफ होती है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 18, 2025, 17:16 IST
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