Rahul Gandhi Security: भीड़ में SPG को छोड़, Z+ और अन्य कैटेगरी की सुरक्षा में क्यों रहता है सेंध लगने का खतरा
'भारत जोड़ो यात्रा' में राहुल गांधी की सुरक्षा (Rahul Gandhi Security) को लेकर कांग्रेस पार्टी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। बुधवार को कांग्रेस पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर कहा कि दिल्ली में कई जगहों पर राहुल की सुरक्षा में लापरवाही हुई है। यात्रा के दौरान राहुल की सुरक्षा में छेड़छाड़ देखी गई है। राहुल गांधी को जेड प्लस सुरक्षा मिली है, इसके बावजूद दिल्ली में उनका सुरक्षा घेरा बनाए रखने में जिम्मेदार एजेंसियां नाकाम रही हैं। सुरक्षा जानकारों का कहना है कि खासतौर से भीड़ में एसपीजी को छोड़कर, जेड प्लस व अन्य कैटेगरी की सुरक्षा में सेंध लगने का खतरा बना रहता है। वजह, सुरक्षा से जुड़े कई नियम टूट जाते हैं। सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति अगर किसी रैली या पदयात्रा के जरिए लोगों के बीच है, तो वह अपनी हिफाजत को लेकर कई तरह के जोखिम उठा लेता है। विभिन्न कैटेगरी की सुरक्षा के दौरान ऐसे नियम टूट जाते हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य होता है। देश में अधिकांश नेता, जिन्हें सुरक्षा प्राप्त है, वे उसे 'सिक्योरिटी' न मानकर अपने लिए एक सुविधा मानते हैं। राजनीतिक कार्यक्रम, मसलन रैली, प्रदर्शन, जनसंपर्क और लंबी यात्रा, ऐसे आयोजनों में सैनिटाइज रूट खत्म हो जाता है। कई बार सुरक्षा एजेंसियों के बीच पर्याप्त तालमेल नहीं दिखाई पड़ता। कुछ मामलों में देखा गया है कि वीवीआईपी भी जोखिम उठा लेते हैं। राजनीतिक कार्यक्रम में कई स्तरीय सुरक्षा घेरा होता है। भीड़ रोकने की जिम्मेदारी, स्थानीय पुलिस को मिलती है। सीआरपीएफ या अन्य सुरक्षा दस्ता, वीवीआईपी व्यक्ति को घेरे रहता है, लेकिन भीड़ को रोकना उनका काम नहीं होता। पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, वीवीआईपी सुरक्षा के नियमों का पालन जितना सुरक्षा बल करते हैं, उतना ही संबंधित व्यक्ति को करना होता है। ऐसा नहीं होता है कि सुरक्षा प्राप्त हर बात से बेफ्रिक्र हो जाता है। वह जब चाहे, जैसे चाहे किसी से मिल सकता है, सुरक्षा घेरे में किसी को बुला सकता है या खुद उससे बाहर निकल सकता है, उस व्यक्ति को ऐसी सोच नहीं रखनी चाहिए। रैली या पदयात्रा के दौरान सुरक्षा कर्मियों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी पड़ती है। राहुल गांधी के पास जेड प्लस सुरक्षा है और वे 'भारत जोड़ो यात्रा' निकाल रहे हैं। यात्रा के बीच में वे कभी तो दौड़ने लगते हैं तो कभी किसी व्यक्ति को सुरक्षा घेरे के अंदर बुला लेते हैं। ऐसे में सौ प्रतिशत रूट सैनिटाइज करना संभव नहीं होता। अगर ऐसी स्थिति में कभी कोई हमला होता है, तो सुरक्षा कर्मियों का फोकस केवल 'वीवीआईपी' पर रहता है। वे हर तरह से उसकी हिफाजत करते हैं। किसी भी वीवीआईपी को अपने कार्यक्रम की जानकारी अग्रिम तौर से सुरक्षा दस्ते को देनी पड़ती है। यह जानकारी कम से कम 24 घंटे पहले दे देनी चाहिए। वीवीआईपी को कहां और किस रूट से जाना है, ये सब पहले से तय होता है। सुरक्षा दस्ता, उस रूट को सैनिटाइज करता है। सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति, किसी राजनीतिक कार्यक्रम में अपने समर्थकों को बहुत निकट बुलाकर बात करते हैं। जब सुरक्षा कर्मी उन्हें रोकते हैं, तो वीवीआईपी उस पर नाखुशी जाहिर करता है। सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति कहीं भी गाड़ी रोकने के लिए कह देते हैं। वे एकाएक गाड़ी से नीचे उतर जाते हैं। वीवीआईपी व्यक्ति गाड़ी की पिछली सीट पर बैठेगा, सुरक्षा के लिहाल से इस नियम का पालन करना बहुत जरुरी है। देखने में आया है कि एक्सपोजर के चलते अधिकांश वीवीआईपी गाड़ी की सामने वाली सीट पर बैठते हैं। यह स्थिति, सुरक्षा कर्मियों को असहज बना देती है। अगर वीवीआईपी व्यक्ति कोई प्रदर्शन कर रहा है, वह पुलिस के बेरिकेड तोड़ने का प्रयास करता है, लोकल पुलिस के साथ उसके सुरक्षा कर्मियों की धक्कामुक्की होती है, तो ऐसे में सुरक्षा में सेंध लगने का जोखिम बना रहता है। हरियाणा के सोहना में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में एक कांग्रेसी ने दो संदिग्ध युवकों को पकड़ लिया था। उन पर जासूसी करने का आरोप लगाया गया। उनका तीसरा साथी भी पकड़ा गया। बाद में मालूम हुआ कि वे तीनों ही व्यक्ति, पुलिस विभाग से ही हैं। कला रामचंद्रन, पुलिस आयुक्त गुरुग्राम ने इसे एक गलतफहमी बताया था। उन्होंने यह बात मानी थी कि पुलिस के तीन आदमी उस कैंप में दाखिल हुए थे, जहां राहुल गांधी ठहरे हुए थे। वे सीआरपीएफ की इजाजत से अंदर गए थे। मामले की जांच की जा रही है। वेणुगोपाल ने अपनी चिट्ठी में कहा है, इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) द्वारा भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने वाले कई लोगों से पूछताछ की जा रही है। सोहना पुलिस स्टेशन में एक एफआईआर दर्ज कराई गई है। उसमें लिखा है कि हरियाणा पुलिस की खुफिया शाखा के कुछ लोग भारत जोड़ो यात्रा के कंटेनर में अवैध तरीके से घुसने का प्रयास कर रहे थे। कांग्रेस पार्टी के दो प्रधानमंत्री- इंदिरा गांधी और राजीव गांधी पहले ही देश की एकता और अखंडता के लिए अपनी जान कुर्बान कर चुके हैं। छत्तीसगढ़ में 25 मई 2013 को जीरमघाटी हमले में कांग्रेस का एक पूरा नेतृत्व नक्सल हमले में खत्म हो चुका है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 28, 2022, 19:46 IST
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