Rajasthan News: राजस्थान में ड्रिंक एंड ड्राइव के मामले 8% बढ़े, ओवरस्पीडिंग को लेकर अब FIR

राजस्थान में इस साल सितंबर तक ड्रिंक एंड ड्राइव (शराब पीकर गाड़ी चलाने) के मामलों में करीब 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह खुलासा पुलिस मुख्यालय के आधिकारिक आंकड़ों से हुआ है। यह डेटा उस समय सामने आया है जब महज दो दिनों में दो अलग-अलग सड़क हादसों में 28 लोगों की मौत हो गई। पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, 2024 में 40,715 मामले सामने आए थे, जिनमें ड्राइवर शराब के नशे में वाहन चलाते पकड़े गए थे, जबकि 2025 में सितंबर तक यह आंकड़ा 43,788 तक पहुँच गया है। अधिकारियों के मुताबिक, सबसे ज्यादा मामले जयपुर और जोधपुर जिलों से दर्ज हुए हैं। जयपुर में डंपर ने 17 वाहनों को रौंदा, 12 की मौत सोमवार 3 नवंबरदोपहर जयपुर के हरमाड़ा इलाके में लोहे की मंडी के पास तेज रफ्तार डंपर ने 17 वाहनों को कुचल दिया, जिससे 12 लोगों की मौत हो गई और 10 घायल हुए। डीसीपी (पश्चिम) हनुमान प्रसाद मीणा ने बताया, “दुर्घटना दोपहर करीब 1 बजे हुई। प्राथमिक जांच में ड्राइवर शराब के नशे में पाया गया। उसे हिरासत में लेकर वाहन जब्त कर लिया गया है।” हरमाड़ा थाना अधिकारी उदय सिंह ने बताया कि डंपर पहले एक बाइक से टकराया और लोगों ने उसका पीछा किया। इसके बाद ड्राइवर ने रफ्तार बढ़ाई और लगभग 300 मीटर तक कई वाहनों को टक्कर मारता चला गया। यह भी पढें-Rajasthan ATS:राजस्थान में बड़ा आतंकी खुलासा; आतंकी संगठन TTP से जुड़े मौलवी ओसामा को ATS ने किया गिरफ्तार एनसीआरबी रिपोर्ट में चिंताजनक स्थिति नवीनतम एनसीआरबी रिपोर्ट (2023) के अनुसार, राजस्थान देश में सातवें स्थान पर है जहाँ सबसे ज्यादा 24,694 सड़क हादसे दर्ज हुए। इनमें से 7,179 हादसे राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुए और 4,172 लोगों की मौत हुई। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, “सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता की कमी, खराब सड़कें, वाहनों की स्थिति की जांच का अभाव और ब्लैक स्पॉट सुधार में सुस्ती— ये मुख्य कारण हैं जिन पर सरकार को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।” विशेषज्ञों ने की परिवहन विभाग की आलोचना जयपुर स्थित मुस्कान फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक नेहा खल्लर ने कहा, “हर बार हादसे के बाद पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगता है, जबकि सड़क सुरक्षा नीति बनाने और लागू करने की जिम्मेदारी परिवहन विभाग, पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई की होती है।” उन्होंने बताया कि राज्य में केवल दो वाहन फिटनेस सेंटर हैं, जो पूरे राजस्थान की निगरानी के लिए अपर्याप्त हैं। “राज्य में व्यावसायिक वाहनों के लिए टेस्टिंग ट्रैक तक नहीं है, फिर भी लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं। ऐसे ड्राइवर कभी प्रशिक्षित नहीं हो पाते,” उन्होंने कहा। नेहा खल्लर ने यह भी बताया कि राजस्थान की कुल सड़क लंबाई का मात्र 11% हिस्सा राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों का है, लेकिन 60% हादसे इन्हीं पर होते हैं। बावजूद इसके, सरकार की ट्रैफिक जागरूकता मुहिम ज्यादातर शहरों तक सीमित हैं। उन्होंने हाल ही में जयपुर के हरमाड़ा हादसे का हवाला देते हुए कहा, “ड्राइवर दोषी जरूर था, लेकिन राज्य में ब्रेद एनालाइज़र टेस्ट सही तरीके से लागू नहीं हुए हैं। उस ड्राइवर के खिलाफ पिछले दो महीनों में तीन बड़े चालान दर्ज थे, फिर भी उसका लाइसेंस रद्द क्यों नहीं किया गया” जयपुर में ओवरस्पीडिंग पर 3 के खिलाफ एफआईआर जयपुर यातायात पुलिस ने ओवरस्पीडिंग के तीन मामलों में वाहन मालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। यह कार्रवाई शहर में सुरक्षित और सुचारू यातायात व्यवस्था बनाए रखने तथा सड़क हादसों पर रोक लगाने के उद्देश्य से की गई है। पुलिस आयुक्त सचिन मित्तल के निर्देश पर यातायात पुलिस ने आईटीएमएस कैमरों में दर्ज तेज रफ्तार वाहनों की फुटेज के आधार पर यह कार्रवाई की। मालवीय नगर थाने में भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 125, 281 और मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 183, 184 के तहत तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं। पुलिस के अनुसार, एफआईआर दर्ज वाहनों में RJ60CE0209 (103 किमी/घं.), RJ45CY3139 (119 किमी/घं.) और RJ60SY7327 (113 किमी/घं.) शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि इन वाहन चालकों ने जानबूझकर लापरवाही से वाहन चलाकर मानव जीवन को खतरे में डाला।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 07, 2025, 04:47 IST
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