RBI : आरबीआई ने 11 साल में मोदी सरकार को दिया 11.42 लाख करोड़ लाभांश

वैशि्वक चुनौतियों, अमेरिका के साथ चल रहे व्यापार वार्ता और पाकिस्तान से तनाव के कारण बढ़े रक्षा खर्च के बीच आरबीआई ने केंद्र सरकार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रिकॉर्ड 2,68,590.07 करोड़ का लाभांश देने की घोषणा की है। इस रकम को मिलाकर आरबीआई मोदी सरकार को 11 साल के कार्यकाल में करीब 11.42 लाख करोड़ का लाभांश दे चुका है। यह राशि सरकार और विश्लेषकों की उम्मीद से अधिक है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी, 2025 को अपने बजट भाषण में 2.56 लाख करोड़ और विश्लेषकों ने 2.50 लाख करोड़ रुपये का लाभांश मिलने की उम्मीद जताई थी। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में केंद्रीय बोर्ड की 616वीं बैठक में लाभांश भुगतान पर फैसला लिया गया। इस रकम से सरकार को राजकोषीय घाटे को कम कर 4.4 फीसदी तक लाने, कर्ज की जरूरतें घटाने और बॉन्ड यील्ड को कम करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही, आरबीआई ने अपने आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) को भी 6.5 से बढ़ाकर 7.5 फीसदी कर दिया है। ये भी पढ़ें:GST Council meeting:जल्द होगी जीएसटी परिषद की बैठक, कर की दरों में सुधार पर लिया जा सकता है अहम फैसला आरबीआई इसलिए दे सका भारी लाभांश रिकॉर्ड लाभांश देने का मुख्य कारण आरबीआई की मजबूत वित्तीय स्थिति है। यह विदेशी मुद्रा भंडार की बिक्री, विदेशी मुद्रा में हुए लाभ और सरकारी प्रतिभूतियों से मिलने वाली ब्याज आय से संभव हुआ है। सितंबर, 2024 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड 704 अरब डॉलर पहुंच गया था। इसके बाद से आरबीआई ने 125 अरब डॉलर से अधिक की विदेशी मुद्रा बेची है। आरबीआई एशियाई केंद्रीय बैंकों में सबसे बड़ा फॉरेक्स विक्रेता रहा। 2024-25 में फरवरी तक सकल डॉलर बिक्री 371.6 अरब डॉलर पहुंच गई, जो एक साल पहले के 153 अरब डॉलर से अधिक है। मार्च, 2025 तक आरबीआई के पास रुपये में प्रतिभूतियों का मूल्य 15.6 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया, जो एक साल पहले से अधिक है। भुगतान प्रणालियों पर नजर रखेगा 6 सदस्यीय बोर्ड आरबीआई गवर्नर की अगुवाई वाला छह सदस्यीय भुगतान विनियामक बोर्ड (पीआरबी) अब देश में भुगतान प्रणालियों पर नजर रखेगा। इसमें केंद्र सरकार के तीन नामित व्यक्ति भी होंगे। 21 मई को भुगतान विनियामक बोर्ड विनियम-2025 को अधिसूचित कर दिया गया है। केंद्रीय बैंक ने अधिसूचना में कहा, नया निकाय भुगतान-निपटान प्रणाली नियमन एवं पर्यवेक्षण बोर्ड (बीपीएसएस) की जगह लेगा। पांच सदस्यीय बीपीएसएस की कमान भी आरबीआई गवर्नर के पास होती है। इसमें कोई सरकारी नामित व्यक्ति नहीं होता है। अधिसूचना के मुताबिक, पीआरबी की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करेंगे। भुगतान-निपटान प्रणाली के प्रभारी डिप्टी गवर्नर होंगे केंद्रीय बोर्ड की ओर से नामित एक आरबीआई अधिकारी और केंद्र सरकार के नामित तीन व्यक्ति इसके अन्य सदस्य होंगे। हर सदस्य के पास एक वोट होगा भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, डिप्टी गवर्नर और केंद्रीय बैंक के अधिकारी बोर्ड के पदेन सदस्य के रूप में कार्य करेंगे

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: May 23, 2025, 17:53 IST
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