Saharanpur News: पर्यटन की नई पहचान है सहारनपुर, आप भी आइए
सहारनपुर। आज विश्व पर्यटन दिवस पर हम आपको सहारनपुर की उन धरोहरों और ऐतिहासिक स्थलों के बारे में बताएंगे, जो अपनी कहानियों और खूबसूरती से हर पर्यटक का मन मोह लेते हैं। यहां ऐसी कई जगहें हैं जो इतिहास, संस्कृति और आस्था का संगम है। इनकी बदौलत आज सहारनपुर पर्यटन की नई पहचान बन रहा है। एक बार आप भी आइए, यहां की पहचान अपने आप बयां हो जाएगी। ----------शाहजहां का शाही शिकारगाह : मुगलकालीन शासकों के समयकालीन खारा पावर हाउस के पास गांव जानीपुर में पूर्वी यमुना नहर के किनारे पर शाहजहां का शाही शिकारगाह है। बताया जाता है कि शाहजहां यहां शिकार करने आते थे और कई-कई दिन तक डेरा डाले रहते थे। शाहजहां ने यहां आम के बाग लगवाए थे, जिस कारण इस क्षेत्र का नाम बादशाही बाग पड़ा था। हालांकि घेंघा रोग का पता चलते शाहजहां और उनकी रानियों ने यहां पर आना छोड़ दिया था। --------हथिनीकुंड बैराज : मिर्जापुर क्षेत्र में चार राज्यों की सीमा पर स्थित हथिनीकुंड बैराज किसी परिचय का मोहताज नहीं। सिंचाई के उद्देश्य से पांच राज्यों के जल बंटवारे के लिए निर्मित हथिनीकुंड बैराज ने वर्ष 1873 के ब्रिटिश शासनकाल में बने ताजेवाला बैराज का स्थान लिया था। यहां पर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमा साथ-साथ लगती है। शिवालिक पर्वत माला की तलहटी में यह स्थान अति रमणीय है, जो पर्यटकों की पहली पसंद बना हुआ है। -------------------सिद्धपीठ श्री शाकंभरी देवी मंदिरशिवालिक पहाड़ियों के मध्य स्थित सिद्धपीठ मां शाकंभरी देवी का इतिहास पौराणिक कथाओं और प्राचीन मान्यताओं से जुड़ा है। बताया गया है कि मां ने दुर्गम असुर के आतंक के बाद लोगों को अकाल से बचाने के लिए शाक उत्पन्न की थी। इस कारण उन्हें शाकंभरी नाम मिला। ऐतिहासिक रूप से यह मौर्य काल के दौरान श्रुघ्न देश का हिस्सा था। मान्यता है कि आचार्य चाणक्य और चंद्रगुप्त ने भी यहां समय बिताया था। आदि शंकराचार्य ने भी यहां आकर देवी की मूर्तियों की स्थापना की थी।---------------------लखनौती में हैं मुगलकालीन ऐतिहासिक इमारतेंलखनौती में ऐतिहासिक इमारतों की भरमार है। इनमें मुगल काल में निर्मित भूल भुलैया, मकबरे, इमामबाड़ा, पुरानी मस्जिद और सिद्धपीठ मंदिर स्थित है। देखरेख के अभाव में यहां के कई मकबरे अपना अस्तित्व खो गए हैं। इनके ऐतिहासिक महत्व के चलते ही बसपा सरकार के वक्त में उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने इस क्षेत्र को ग्रामीण पर्यटन घोषित किया था। -------------------जिले में यह स्थान भी पर्यटन के प्रमुख केंद्र : - दिल्ली-देहरादून हाईवे पर यूपी की सीमा पर स्थित डाट काली माता का मंदिर। - बड़गांव के जड़ौदा पांडा में पांडव कालीन तालाब, जूड मंदिर, प्रणामी समुदाय का निजानंद आश्रम स्थित है।- देवबंद में माता बाला सुंदरी मंदिर है। देवी कुंड के नाम से तालाब है। प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।- सरसावा में बनखंडी महादेव मंदिर है। यह मंदिर महाभारत कालीन है। साल की दोनों शिवरात्रियों पर यहां बड़े मेले लगते हैं।- तीतरों के बरसी में महाभारतकालीन शिव मंदिर है। यह दुनिया का अकेला दक्षिण मुखी मंदिर है। इसका निर्माण कौरवों ने किया था, जबकि भीम ने अपनी गदा से इसकी दिशा बदल दी थी। - नकुड़ में पांडव पुत्र नकुल द्वारा बनाया गया नकुलेश्वर महादेव मंदिर है। मुगलों के वक्त की जामा मस्जिद भी यहां स्थित है।- नानौता के कुंआखेड़ा में गंगा यमुना का संगम है। इसके साथ ही गांव सोना अर्जुनपुर बाबा सिद्ध की तपोभूमि और तालाब है। नोट : इनके अलावा भी कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 27, 2025, 00:11 IST
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