16 साल बाद संपत सिंह की घर वापसी, फिर बदली राजनीतिक दिशा!
पूर्व मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संपत सिंह की 16 साल बाद इनेलो में घर वापसी हो गई है। इनेलो प्रमुख अभय सिंह चौटाला ने बुधवार को उन्हें पार्टी में शामिल कराया। आज बात करेंगे संपत सिंह के जाने से क्या कांग्रेस को कोई नुकसान होगा या फिर इनेलो को कितना फायदा पहुंच सकता है। इस नतीजे पर पहुंचने से पहले संपत सिंह की पृष्ठभूमि को समझना होगा। राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर संपत सिंह ने अपनी राजनीति की शुरुआत 1977 में इनेलो से की थी। उन्हें ताऊ देवीलाल राजनीति में लाए थे और ताऊ देवीलाल ने ही उन्हें राजनीति में आगे बढ़ाया। उसके बाद वे अपने राजनीतिक कौशल से चुनाव जीतते रहे और पार्टी में उनका कद भी बढ़ता चला गया। एक समय में चौटाला बंधुओं के बाद पार्टी के अंदर उन्हीं गिनती होती थी। मगर 2009 से पहले पार्टी के कुछ मनमुटाव बना, जिससे वह इनेलो से इस्तीफा देकर 2009 में कांग्रेस में शामिल हो गए। 2009 में कांग्रेस ने उन्हें नलवा से टिकट दिया और वे जीते भी। वह छह बार विधायक रहे हैं। दो बार कैबिनेट मंत्री और एक बार नेता प्रतिपक्ष रहे। 2019 और 2024 में वे नलवा से टिकट मांग रहे थे, मगर कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया। संपत सिंह की राजनीति हिसार के आसपास रही है। इतने साल तक वे सत्ता में रहे हैं तो जाहिर है कि उनका एक निजी वोट बैंक भी है। अब बात करते हैं कांग्रेस के नफा नुकसान के बारे में। संपत सिंह ने अपने इस्तीफे पर जो आरोप लगाए हैं, वे पहले भी कांग्रेस के अन्य सदस्य लगाते आए हैं। इससे पहले किरण चौधरी, कुलदीप बिश्नोई भी इस्तीफा देने से पहले आरोप लगाया कि कि कांग्रेस को कुछ लोगों नेहाईजैककरके रखा हुआ है।संपतसिंह के आरोप इस धारणा को और मजबूत बनाते हैं। हिसार में कांग्रेस के पास चौधरी बीरेंद्र सिंह व जेपी के अलावा संपत सिंह जैसा एक साफ सुथरा चेहरा था, जो कहीं न कहीं कांग्रेस को मजबूत करता था। अब बात करते हैं इनेलो की। संपत सिंह की घर वापसी ऐसे समय में हुई है, जबकि एक परसेप्शन बन रहा है कि इनेलो के पुराने साथी घर में लौट रहे हैं। जिसका फायदा आने वाले दिनों में पार्टी को मिल सकता है। वहीं, इनेलो में अभय सिंह चौटाला के बाद पार्टी को ऐसे चेहरे की तलाश रही है, जो मास लीडर की कमी को पूरा करे। इसकी कमी संपत सिंह के आने सेथोड़ीदूर हो सकती है। उनकी छवि साफ सुथरी वाली रही है। पढ़े-लिखे जाट नेता हैं, ऐसे में उनका इनेलो में आना पार्टी के लिए एक सकारात्मक पहलू हो सकता है। इन सबके बीच में यह भी ध्यान रखना होगा कि संपत सिंह 2009 के बाद कोई चुनाव नहीं जीत पाए हैं। लगातार पार्टी बदलते रहे हैं। इससे उनकी छवि को भी नुकसान पहुंचा है। 2009 में कांग्रेस में शामिल हुए। 2019 में भाजपा में चले गए। तीन साल बाद फिर से कांग्रेस में आ गए और अब इनेलो में चले गए हैं। ऐसे में उनका जाना कांग्रेस को कितना नुकसान पहुंचाएगा और इनेलो को कितना फायदा होगा, यह तो आने वाला वक्त बताएगा।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 05, 2025, 18:38 IST
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