Sehore News: दीक्षा मौत कांड में नया खुलासा! अवैध मुस्कान क्लीनिक की लापरवाही पर जांच रिपोर्ट ने खोले राज

मासूम दीक्षा कुशवाहा की मौत के मामले में जांच टीम की प्रारंभिक रिपोर्ट ने अवैध मुस्कान क्लीनिक की लापरवाही को उजागर कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार क्लीनिक संचालक अशोक विश्वकर्मा न तो योग्य डॉक्टर था और न ही उसे गंभीर बीमारियों की पहचान का अनुभव था। जिस बीमारी को उसने सामान्य बुखार समझा, वह वास्तव में मस्तिष्क का बुखारथा। गलत इंजेक्शन से बिगड़ी दीक्षा की हालत जांच में यह भी सामने आया है कि क्लीनिक पहुंचते ही दीक्षा को एक अज्ञात दवा का इंजेक्शन लगाया गया। कुछ ही मिनटों में बच्ची की तबीयत बुरी तरह बिगड़ गई और वह बेहोश होकर कोमा में चली गई। डॉक्टर ने बिना ऑक्सीजन या आपात उपचार की सुविधा के परिजनों को उसे भोपाल रेफर कर दिया, जहां पांच दिन बाद उसकी मौत हो गई। ये भी पढ़ें-जिला अस्पताल में ब्लड न मिलने से युवक की मौत का आरोप, परिजनों ने किया हंगामा सर्दी-खांसी समझकर देता रहा दवा डॉ. नवीन मैहर की अध्यक्षता वाली समिति ने बताया कि दीक्षा के लक्षण “एन्सेफलाइटिस” यानी मस्तिष्क संक्रमण के थे। यह गंभीर बीमारी है, जिसमें तत्काल विशेषज्ञ इलाज की आवश्यकता होती है। मगर झोलाछाप संचालक ने इसे सर्दी-बुखार समझकर इंजेक्शन दे दिया। टीम ने संकेत दिए हैं कि समय पर सही इलाज होता, तो दीक्षा की जान बचाई जा सकती थी। प्रशासन की लापरवाही भी आई सामने फॉलोअप जांच में यह तथ्य भी उभरा है कि मुस्कान क्लीनिक को पहले ही दिसंबर 2024 में बंद करने का आदेश दिया गया था। बावजूद इसके यह क्लीनिक पिछले 10 महीनों से धड़ल्ले से चल रहा था। सीएमएचओ कार्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर यह अवैध अस्पताल संचालित होता रहा, लेकिन किसी अधिकारी को भनक तक नहीं लगी। ये भी पढ़ें-दो सौ से ज्यादा लोगों की आंखें खराब,अब जागा प्रशासन, कार्बाइड गन के साथ युवक गिरफ्तार, बढ़ रहे केस कार्रवाई अधर में, फरार है संचालक फिलहाल पुलिस ने क्लीनिक संचालक अशोक विश्वकर्मा के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज की है, लेकिन यह केवल स्वास्थ्य नियमों के उल्लंघन की धाराओं में हुई है। बच्ची की मौत में सीधे लापरवाही साबित होने पर ही (लापरवाही से मृत्यु) या इससे गंभीर अपराध जोड़े जा सकते हैं। फिलहाल आरोपी फरार बताया जा रहा है। न्याय की आस में दीक्षा का परिवार दीक्षा के पिता रोहित कुशवाहा अब भी अपनी मासूम बेटी की तस्वीर हाथ में लिए न्याय की गुहार लगा रहे हैं। उनका कहना है कि हमें अपनी बच्ची तो वापस नहीं मिल सकती, लेकिन हम चाहते हैं कि किसी और परिवार के साथ ऐसा न हो। अब पूरा जिला प्रशासन की अगली कार्रवाई पर नजरें टिकाए है कि क्या दीक्षा को आखिर इंसाफ़ मिलेगा या यह मामला भी फाइलों में दफन हो जाएगा।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 23, 2025, 20:15 IST
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