Ujjain Mahakal: मस्तक पर विराजे शेषनाग, फिर बाबा महाकाल ने भस्म आरती में दिए भक्तों को दर्शन

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शुक्रवार सुबह भस्म आरती के दौरान चार बजे मंदिर के पट खुलते ही पण्डे पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन कर भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर फलों के रस से बने पंचामृत को अर्पित कर किया। इसके बाद प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद बाबा महाकाल को चांदी का मुकुट और रुद्राक्ष की माला धारण करवाई गई। आज के शृंगार की विशेष बात यह रही कि आज भस्मआरती में बाबा महाकाल के मस्तक पर शेषनाग धारण करवाकर उन्हें शृंगारितकिया गया। शृंगार के बाद बाबा महाकाल के ज्योतिर्लिंग को महानिर्वाणी अखाड़े के द्वारा भस्म रमाई गई औरफिर कपूर आरती कर भोग भी लगाया गया। भस्म आरती में बड़ी संख्या मे श्रद्धालु पहुंचे, जिन्होंने बाबा महाकाल के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया और बाबा महाकाल की भक्ति में लीन होकरजय श्री महाकाल का उद्घोष करने लगे। जानिए कैसे बनती है महाकाल की भस्म पौराणिक कथाएं कहती हैं कि पहले के समय में महाकाल की आरती या फिर उनके शृंगार के लिए भस्म श्मशान से ही लाई जाती थी, लेकिन धीरे-धीरे इस परंपरा में बदलाव हुआ और भस्म खुद बनाने का विधान शुरू हुआ। वर्तमान स्थिति में आरती या शृंगार के लिएमहाकाल की भस्मको कपिला गाय के गोबर से तैयार किया जाता है। गोबर के उपलों में शमी, पीपल, बड़, अमलतास और बेर की लकड़ियों को जलाकर मिलाया जाता है। यही नहीं, भस्म को तैयार करते समय इन सभी सामग्रियों के साथ कई अन्य प्रकार की जड़ीबूटियां भी मिलाई जाती हैं। इसके अलावा, कपूर और गुग्गल का भी मिश्रण किया जाता है, ताकि भस्म सुगन्धित बनाई जा सके। महाकाल को चढ़ने वाली भस्म न सिर्फ आयुर्वेदिक रूप से उत्तम है बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि में भी इसका खासा महत्व है। महाकाल की भस्म का एक कण भी अगर कोई अपने घर पर रख ले तो उसके रोग-दोष मिट जाएंगे। ये भी पढ़ें-जिस श्री आनंदपुर धाम आ रहे पीएम मोदी, जानिए उसकी खासियत, देशभर में इसलिए है प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर को रजत मुकुट दान दिया श्री महाकालेश्वर मंदिर में पधारे दुष्यंत कुमार वशिष्ठ ने पुरोहित नवीनत शर्मा और रूपम शर्मा की प्रेरणा से भगवान श्री महाकालेश्वर को एक नग चांदी का छत्र मय भेट किया। जिसका कुल वजन 967 ग्राम है। जिसे श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के उपप्रशासक एस. एन. सोनी और सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल द्वारा दानदाता से प्राप्त पर दानदाता का सम्मान किया जाकर विधिवत रसीद प्रदान की गई। यह जानकारी मंदिर प्रबंध समिति के कोठार शाखा के कोठारी मनीष पांचाल द्वारा दी गई।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Apr 11, 2025, 06:46 IST
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