Shradh Paksha 2025: श्राद्ध में सिर्फ पिंडदान ही नहीं इन बातों का भी है महत्व, जानें यहां

पं. त्रिभुवन पांडेय हिंदू धर्म में पितरों की स्मृति और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध पक्ष अत्यंत पुण्यकाल माना गया है। यह पखवाड़ा भाद्रपद मास की पूर्णिमा से अश्विन अमावस्या तक चलता है, जिसे 'पितृ पक्ष' कहा जाता है। इस दौरान पूर्वजों को श्रद्धा भाव से तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन कराकर श्रद्धांजलि दी जाती है। यह न केवल आत्मिक कृतज्ञता प्रकट करने का माध्यम है, बल्कि एक सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा भी है जो पीढ़ियों से चली आ रही है। श्राद्ध कर्म से पितरों की आत्मा को संतोष मिलता है और उनका आशीर्वाद वंशजों को सुख, समृद्धि और दीर्घायु प्रदान करता है। Indira Ekadashi 2025:16 या 17 सितंबर कब है इंदिरा एकादशी जानें तिथि, महत्व और पूजा विधि श्राद्ध कर्म करते समय कई सूक्ष्म नियमों और बातों का पालन अत्यंत आवश्यक होता है, क्योंकि यही नियम श्राद्ध को पूर्ण और फलदायी बनाते हैं। जैसे कि तर्पण के समय जल में काले तिल डालना, पवित्रता बनाए रखना, भोजन शुद्ध और सात्विक होना, दक्षिणा और ब्राह्मण सेवा का समुचित विधान आदि। इसके अलावा, श्रद्धा और नियमपूर्वक मंत्रों का उच्चारण, सही तिथि पर श्राद्ध करना तथा पूर्वजों की स्मृति में दान-पुण्य करना। यह सब मिलकर श्राद्ध को सफल बनाते हैं। इसलिए केवल कर्मकांड नहीं, बल्कि शुद्ध हृदय और श्रद्धा से किया गया श्राद्ध ही पितरों को प्रसन्न करता है। Panchbali Karma:श्राद्ध पक्ष में करें पंचबलि कर्म, पितृ दोष से मिलेगा छुटकारा, जीवन की सभी बाधाएं होंगी दूर

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 10, 2025, 13:09 IST
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