Uttarakhand: नींद का सपना...जिसे जगाना था दूसरों को, खुद नहीं उठ पाया; 52 लाख की मशीनें बेकार; जानें वजह

आधुनिक जीवनशैली और मोबाइल की लत से जूझ रहे अनिद्रा पीड़ितों के लिए राहत की उम्मीद बनी राजकीय मेडिकल कॉलेज का स्लीप क्लिनिक अभी खुद नींद में है। करीब एक साल पहले तैयार हुआ भवन और लाखों की लागत से खरीदी गई आधुनिक मशीनें अब भी उपयोग में नहीं आ पाई हैं। वजह यह कि क्लिनिक में अब तक चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। करीब 52 लाख रुपये की लागत से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत खरीदी गई टेलीमेट्री वीडियो पॉली सोनोग्राफी मशीन अनिद्रा के इलाज में अहम भूमिका निभा सकती थी। लेकिन स्लीप क्लिनिक शुरू न होने से हर महीने मेडिकल कॉलेज पहुंचने वाले 10 से 15 अनिद्रा के मरीजों को सामान्य ओपीडी में इलाज कराना पड़ रहा है। मोबाइल की लत और तनाव से घट रही नींद मेडिकल कॉलेज में जनरल सर्जरी विभागाध्यक्ष डाॅ. केदार शाही बताते हैं कि आजकल लोगों की नींद डिजिटल स्क्रीन के आगे खो गई है। मोबाइल, लैपटॉप और इंटरनेट के अत्यधिक प्रयोग से तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है, जिससे पेट, मानसिक स्वास्थ्य और नींद से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि मानसिक तनाव भी अनिद्रा का बड़ा कारण है। कई लोग दो से तीन घंटे की नींद भी पूरी नहीं ले पाते जबकि स्वस्थ रहने के लिए छह से सात घंटे की गहरी नींद आवश्यक है। नींद पूरी न होने से व्यक्ति भूलने की बीमारी, चिड़चिड़ापन, अवसाद और कार्यक्षमता में कमी जैसी समस्याओं का शिकार हो जाता है। यह समस्या खास तौर पर युवा वर्ग में तेजी से बढ़ रही है। स्लीप क्लिनिक : सपना पूरा होने का इंतजार -भवन निर्माण : एक साल पहले पूरा -लागत : ₹52 लाख (एनएचएम) -प्रमुख उपकरण : टेलीमेट्री वीडियो पॉली सोनोग्राफी मशीन -हर माह पहुंचने वाले मरीज : 10–15 -बाधा : चिकित्सकों की कमी स्लीप क्लिनिक के लिए पर्याप्त चिकित्सकों की तैनाती नहीं हो पाई है। इसके लिए चयन प्रक्रिया शुरु कर दी गई है। डाक्टरों की तैनाती को लेकर सचिवालय स्तर पर भी अधिकारियों से लगातार बात कर मांग की जा रही है। उम्मीद है कि आगामी एक माह के भीतर क्लिनिक की शुरुआत हो जाएगी। -डॉ. जीएस तितियाल, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज, रुद्रपुर

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 12, 2025, 11:50 IST
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