Bilaspur News: किरतपुर-नेरचौक फोरलेन पर आरओडब्ल्यू पिलरों के सत्यापन में सुस्ती
एक्सक्लूसिवएनएचएआई ने एक ही सर्वे दल किया तैनात, वन विभाग ने जताई नाराजगीलेटलतीफी के कारण अधर में लटकी है पर्यावरण मंत्रालय की शर्तों की अनुपालना संवाद न्यूज एजेंसी बिलासपुर। किरतपुर-नेरचौक फोरलेन परियोजना पर परिवर्तित वन भूमि में राइट ऑफ वे आरसीसी पिलरों का सत्यापन सुस्त रफ्तार से चल रहा है। वन विभाग ने साफ किया है कि एनएचएआई ने वन विभाग को केवल एक ही सर्वेक्षण दल उपलब्ध करवाया है, जिसके चलते प्रक्रिया में देरी हो रही है।उप वन संरक्षक बिलासपुर ने बताया कि स्वारघाट वन क्षेत्र से सत्यापन की शुरुआत की गई है। लेकिन सर्वेक्षण टीम में मैन पावर की कमी के कारण कई जगहों पर अब तक पिलरों की पुष्टि नहीं हो पाई है। विभाग ने इस संबंध में जिला उपायुक्त बिलासपुर को भी प्रतिलिपि भेजी है। बताते चलें कि फोरलेन के किनारे बसे बिलासपुर जिले के भगेड़ सहित अन्य कई गांव के ग्रामीण कई बार इस मुद्दे पर आपत्तियां दर्ज करवा चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पिलरों की सही स्थिति और सीमांकन स्पष्ट न होने से निजी भूमि पर अतिक्रमण का डर है। कई लोगों ने अगस्त में आवेदन देकर शीघ्र कार्रवाई की मांग की थी। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सभी पिलरों का सत्यापन और सीमांकन पूरा नहीं होता, तब तक फोरलेन निर्माण को लेकर उनके संदेह दूर नहीं होंगे। इस फोरलेन परियोजना के लिए वर्ष 2013 में केंद्र सरकार ने 74.78 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरित की थी। मगर इसमें से 28.36 हेक्टेयर रोड अलाइनमेंट बिना अनुमति के बदल दिया गया। तत्कालीन एनएचएआई अधिकारियों, वन विभाग और निर्माण कंपनी ने निजी हित साधने के लिए बदलाव किया। उस समय इस मामले में प्रभावित समिति ने पर्यावरण मंत्रालय को शिकायत भेजी थी। मंत्रालय ने जियो रेफरेंस नक्शा व रिपोर्ट मांगी, लेकिन समय पर कार्रवाई न होने पर जून 2020 में काम रोक दिया गया। बाद में सरकार ने गलती स्वीकार की और अनुमति मांगी। मंत्रालय ने 28.36 हेक्टेयर बदलाव को कबूल करते हुए पांच अतिरिक्त शर्तों के साथ मंजूरी दी। इसमें 1.83 करोड़ रुपये जुर्माना और दोषियों पर कार्रवाई की शर्त भी शामिल थी। साथ ही शर्त नंबर 18 के तहत वन भूमि का सीमांकन कर पिलर-टू-पिलर दूरी, बैक व फ्रंट बियरिंग दर्ज करना अनिवार्य किया गया।इनसेटअब बनी है समितिशिकायतों और मंत्रालय के दबाव के बाद अब डीसीएफ बिलासपुर ने समिति गठित की है, जो मौके पर जाकर आरओडब्ल्यू पिलरों का सत्यापन कर रही है। सहायक वन संरक्षक ने एनएचएआई को पत्र लिखकर संयुक्त निरीक्षण के दौरान विशेषज्ञ स्टाफ उपलब्ध करवाने को कहा था। लेकिन जो स्टाफ एनएचएआई ने दिया है वो कम है। इसलिए अब वन विभाग ने सर्वेक्षण के लिए मैन पावर बढ़ाने की मांग की है। वहीं, समिति का कहना है कि यदि पिलर सही स्थानों पर लगे तो वन भूमि का वास्तविक सीमांकन स्पष्ट हो जाएगा।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Aug 27, 2025, 17:20 IST
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