बनाएं रणनीति: बेटा सताए तो बुढ़ापे में रिवर्स मॉर्गेज स्कीम बेहतर, अपने पास घर रहे और मिले हर महीने पैसा
रिवर्स मॉर्गेज उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है, जिन्हें नियमित आय स्रोत की जरूरत है। खासकर बुढ़ापे में जब बेटा और बहू सताने लगें तो यह बहुत ही लाभदायक योजना है। इस योजना में कर्ज तब तक नहीं चुकाना होता, जब तक कि ग्राहक घर बेच नहीं देता या उससे निकल नहीं जाता या मौत नहीं हो जाती। इसमें नियमित रूप से किस्त की तरह पैसा मिलता है। यह योजना वरिष्ठ नागरिकों यानी 60 साल से ऊपर के मकान मालिकों के लिए है। अलग-अलग बैंकों की जरूरतें होती हैं जिन्हें ग्राहकों को आवेदन करने के लिए पूरा करना होता है। जीवनसाथी के संग भी ले सकते हैं लाभ जीवनसाथी के साथ आवेदन किया जाता है, तो जीवनसाथी की आयु कम से कम 55 वर्ष होनी चाहिए। अधिकतम आयु सीमा कोई नहीं है। संपत्ति पर बकाया लोन या अन्य वित्तीय दायित्व नहीं होना चाहिए। गिरवी रखी गई संपत्ति की आयु 20 वर्ष से अधिक नहीं हो। कम से कम तीन लाख और अधिकतम एक करोड़ का लोन ले सकते हैं। संपत्ति पर लोन है तो अनापत्ति प्रमाण पत्र जरूरी है। प्रोसेसिंग फीस लोन का 0.50 फीसदी है। हालांकि, बैंक न्यूनतम फीस 2,000 रुपये और अधिकतम 20,000 रुपये तय करता है। बैंक ग्राहक की उम्र के आधार पर अधिकतम 15 साल तक का लोन देता है। वरिष्ठ नागरिक बिना किसी शुल्क या पेनाल्टी के रिवर्स मॉर्गेज लोन का प्रीपेमेंट कर सकते हैं। ये भी पढ़ें:टैरिफ वार:समझदारी से बाजार में उठाएं फायदा, चुनौतियों में छिपा है निवेश का सुनहरा मौका कई तरह का उठा सकते हैं फायदा रिवर्स मॉर्गेज भुगतान के साथ आप रोजमर्रा के घरेलू खर्चों, यात्रा लागतों और चिकित्सा बिलों के लिए पैसे का उपयोग कर सकते हैं। एकमुश्त भुगतान को छोड़कर पैसे का उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं है। कर लाभ : आयकर काननू-1961 की धारा 10(43) के तहत रिवर्स मॉर्गेज भुगतान को आय नहीं माना जाता है। इसलिए, कर भुगतान से छूट है। रिवर्स मॉर्गेज फंड से घर के नवीनीकरण पर खर्च की गई राशि कर कटौती के लिए पात्र हो सकती है। ऋण चुकाने की जरूरत नहीं : बुढ़ापे में कर्ज चुकाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ग्राहक की मौत के बाद बैंक को कर्ज वसूलने के लिए संपत्ति बेचने का अधिकार है। ऐसे में ग्राहक को कर्ज चुकाने की जरूरत नहीं होती है। उच्च ब्याज दरों के कारण रिवर्स मॉर्गेज सबसे महंगा ऋण माना जाता है। यह वित्तीय व्यवस्था तभी तक लाभदायक रहती है जब तक मकान मालिक घर में रहता है। मकान मालिक 12 महीने से अधिक समय के लिए घर में नहीं रहता है तो तो कर्ज का भुगतान करना होगा। बैंक बुजुर्ग व्यक्ति को घर से बेघर कर सकता है। -वेदप्रकाश राही, वित्तीय सलाहकार संबंधित वीडियो-
- Source: www.amarujala.com
- Published: Apr 07, 2025, 04:46 IST
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