Julius Malema: दक्षिण अफ्रीकी नेता जूलियस मालेमा नस्लभेदी-अभद्र भाषा के लिए दोषी करार, ट्रंप ने की थी आलोचना
दक्षिण अफ्रीकी नेता जूलियस मालेमा को बुधवार को अदालत ने 2022 में की गई नस्लभेदी और अभद्र भाषा के इस्तेमाल का दोषी पाया है। मालेमा पर ट्रंप प्रशासन ने श्वेत-विरोधी आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने का आरोप लगाया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते मई में दक्षिणी अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोस से मुलाकात के दौरान मालेमा की आलोचना की थी। मालेमा एक छोटे विपक्षी दल इकोनॉमिक फ्रीडम फाइटर्स के मुखिया हैं। उन्होंने 2022 में एक राजनीतिक रैली में कहा था, 'कोई भी श्वेत व्यक्ति मुझे पीट नहीं सकता और मैं खुद को क्रांतिकारी कहूंगा। आपको कभी भी हत्या करने से नहीं डरना चाहिए। एक क्रांति की मांग है कि किसी न किसी मोड़ पर हत्या होनी ही चाहिए, क्योंकि हत्या एक क्रांतिकारी कार्य का हिस्सा है।' मालेमा की इन टिप्पणियों को अदालत ने अभद्र भाषा माना है। ये भी पढ़ें:US:विदेशी मदद पर रोक के लिए ट्रंप प्रशासन की सुप्रीम कोर्ट में अपील, 12 अरब डॉलर फंडिंग पर मंडरा रहा संकट पहले भी अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने पर दोषी ठहराए जा चुके हैं मालेमा यह पहला मौका नहीं है, जब मालेमा पर ऐसा आरोप लगा हो। पहले भी उन्हें 'बोअर को गोली मारो' जैसे नारे लगाने पर दोषी पाया गया था। 'बोअर' शब्द दक्षिण अफ्रीका के श्वेत किसानों के लिए इस्तेमाल होता है। उस मामले में उन्हें अभद्र भाषा का दोषी ठहराए जाने के फैसले को बाद में अदालत ने पलट दिया था। ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीकी सरकार पर ये लगाया था आरोप मालेमा का नाम तब और चर्चाओं में आया, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मई में दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के साथ ओवल ऑफिस में बैठक की और एक वीडियो दिखाया, जिसमें मालेमा प्रमुखता से दिखाई दिए थे। इस वीडियो का इस्तेमाल कर ट्रंप ने दक्षिणी अफ्रीकी सरकार पर आरोप लगाया था कि वे श्वेत किसानों की जमीन जब्त कर रहे हैं और उनकी हत्या को बढ़ावा दे रहे हैं। ट्रंप ने इस आरोप को लेकर अमेरिका की दक्षिण अफ्रीका को दी जाने वाली आर्थिक मदद रोकने की बात भी कही थी। हालांकि, दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने इसे झूठी जानकारी बताया। हमास का समर्थन करने के लिए दो बार नहीं दिया गया ब्रिटेन का वीजा मालेमा को अपने ही देश में उनके राजनीतिक भाषणों के लिए अक्सर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। इस साल उन्होंने फलस्तीनी उग्रवादी समूह हमास का समर्थन भी किया था, जिसके कारण उन्हें दो बार ब्रिटेन का वीजा भी नहीं दिया गया। ये भी पढ़ें:FDA New COVID-19 Vaccine:अमेरिका में नए टीकों को सशर्त मंजूरी, बच्चों-वयस्कों के लिए सीमित इस्तेमाल की अनुमति मालेमा को क्या सजा मिलेगी, फिलहाल इस पर फैसला नहीं दक्षिण अफ्रीका में खास अदालतें होती हैं जिन्हें समानता अदालत कहा जाता है। ये अदालतें नस्ल, लिंग या यौन झुकाव के आधार पर भेदभाव और अभद्र भाषा से जुड़े मामलों को सुनती हैं। अदालत ऐसे मामलों में दोषी लोगों को सार्वजनिक रूप से माफी मांगने, पीड़ित को मुआवजा देने या उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की सिफारिश कर सकती हैं। ताजा मामले में मालेमा को क्या सजा मिलेगी, इसका फैसला अभी नहीं हुआ है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Aug 28, 2025, 03:04 IST
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