Jalandhar: विदेश में था छात्र, जालंधर में बन गया ड्राइविंग लाइसेंस... आरटीओ दफ्तर में हड़कंप
ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट ट्रैक पर बिना एप्लीकेंट के टेस्ट दिए लाइसेंस बनने का मामला अब गंभीर प्रशासनिक गड़बड़ी में बदलता जा रहा है। जांच में सामने आया है कि जिस व्यक्ति का ड्राइविंग लाइसेंस बना, वह मार्च से यूरोप में स्टडी वीजा पर रह रहा है, जबकि उसका मोबाइल नंबर राजस्थान से अपडेट किया गया था। सहायक आरटीओ विशाल गोयल ने इस मामले में जांच शुरू की। उन्होंने करीब दो घंटे तक टेस्ट ट्रैक पर सहायक आरटीओ कमलेश कुमारी, मुलाजिम संदीप कुमार और राजेश्वर से पूछताछ की। इस दौरान यह पता लगाने की कोशिश की गई कि लाइसेंस को अप्रूव किसने किया, और एप्लीकेंट की गैरमौजूदगी में किस कर्मचारी की आईडी से प्रक्रिया पूरी की गई। आरटीओ दफ्तर ने अब हेड ऑफिस चंडीगढ़ को पत्र लिखकर पूरा डेटा मांगा है, जिसमें लाइसेंस नंबर PB0820250008059 से जुड़ी हर गतिविधि की जानकारी—आईडी लॉग, आईपी एड्रेस, रिन्यूअल हिस्ट्री और अप्रूवल की तारीखें—शामिल होंगी। एप्लीकेंट की मां के बयान दर्ज, बेटे से फोन पर संपर्क जांच के दौरान विशाल गोयल मंगलवार को पक्का बाग स्थित एप्लीकेंट के घर पहुंचे और उसकी मां से बयान दर्ज किए। उन्होंने बताया कि उनका बेटा मार्च में यूरोप गया था और लाइसेंस की प्रक्रिया के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है। फोन पर संपर्क करने पर बेटे ने भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया और कहा कि वह कैटरिंग का काम करता है तथा 7 नवंबर तक व्यस्त है। इस बीच, एआरटीओ कमलेश कुमारी ने एप्लीकेंट को दूसरा नोटिस डाक से भेजा है ताकि आधिकारिक रूप से बयान दर्ज कराए जा सकें। शिकायतकर्ता ने जांच की निष्पक्षता पर उठाए सवाल शिकायतकर्ता संजय सहगल ने आरोप लगाया कि जिस एआरटीओ पर शक है, उसी को जांच सौंपना अनुचित है। उन्होंने मांग की कि यह जांच आईएएस या पीसीएस स्तर के अधिकारी को दी जाए। सहगल का कहना है कि यह मामला न केवल भ्रष्टाचार का संकेत है, बल्कि जालंधर आरटीओ कार्यालय की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। वीडियो रिकॉर्डिंग डिलीट, अब एनआईसी से मांगा जाएगा डेटा ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक की सीसीटीवी फुटेज भी अब जांच के दायरे में है। ट्रैक पर सिर्फ 15 दिन की रिकॉर्डिंग रखी जाती है, और पुराना डाटा डिलीट हो चुका है। फिलहाल 21 अक्तूबर तक का ही वीडियो डेटा मौजूद है। अब हेड ऑफिस की ओर से एनआईसी (राष्ट्रीय सूचना केंद्र) से अनुरोध किया गया है कि वे सर्वर से ट्रैक की रिकॉर्डिंग और लॉगिन डिटेल्स मुहैया करवाएं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि लाइसेंस अप्रूवल किस सिस्टम और स्थान से किया गया था। फिलहाल इस पूरे प्रकरण ने आरटीओ विभाग की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं—कि आखिर विदेश में बैठे व्यक्ति का ड्राइविंग लाइसेंस जालंधर से कैसे बन गया
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 05, 2025, 09:30 IST
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