Sumitranandan Pant Poetry: फिरूँ सदा माँ! तेरे साथ, कभी न छोड़ूँ तेरा हाथ
मैं सबसे छोटी होऊँ, तेरा अंचल पकड़-पकड़कर फिरूँ सदा माँ! तेरे साथ, कभी न छोड़ूँ तेरा हाथ! बड़ा बनाकर पहले हमको तू पीछे छलती है मात! हाथ पकड़ फिर सदा हमारे साथ नहीं फिरती दिन-रात! अपने कर से खिला, धुला मुख, धूल पोंछ, सज्जित कर गात, थमा खिलौने, नहीं सुनाती हमें सुखद परियों की बात!
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 27, 2022, 17:57 IST
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