Supreme Court: बांग्लादेश निर्वासित गर्भवती महिला पर अदालत सख्त; केंद्र से कहा- वापस लेने पर विचार करे
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र से कहा कि वह इस साल की शुरुआत में बांग्लादेश निर्वासित की गई गर्भवती महिला और उसके बच्चे को मानवीय आधार पर भारत में पुन: प्रवेश देने पर विचार करे। चाहे तो उसे भारत में निगरानी में रखा जाए। आरोप है कि इस महिला को भारतीय एजेंसियों ने बांग्लादेश में अवैध तरीके से निर्वासित किया गया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि महिला को पश्चिम बंगाल के मालदा में भारत-बांग्लादेश सीमा के रास्ते भारत में प्रवेश देने के संबंध में केंद्र से निर्देश प्राप्त करें। मेहता ने अदालत से कुछ समय मांगते हुए कहा, हमें इस मुद्दे पर निर्देश प्राप्त करने के लिए दो दिन का समय दें। हम समझते हैं कि अदालत हमें मानवीय आधार पर मामले पर विचार करने के लिए कह रही है। हम इस पर विचार करेंगे। महिला सोनाली खातून के पिता भोदू शेख की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सजय हेगड़े ने कहा वे बांग्लादेश की ओर से भारत में प्रवेश करने के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं। पीठ ने कहा, केंद्र महिला और उसके बच्चे को भारत में प्रवेश की अनुमति देने तथा किसी और जटिलता से बचने के लिए उसे अस्पताल में रखने पर विचार कर सकता है। हेगड़े ने कहा कि अगर केंद्र गर्भवती महिला को अनुमति देता है, तो उसके पति को भी भारत में प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि उसे पीछे नहीं छोड़ा जा सकता। ये भी पढ़ें:-Pollution: क्या वायु प्रदूषण से मुक्ति पाना संभव है सर्वोच्च न्यायालय की फटकार से जागेंगी एजेंसियां बांग्लादेशी होने के शक में किया था गिरफ्तार हाईकोर्ट ने भोदू शेख की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के संबंध में दो आदेश पारित किए थे। याचिका में दावा किया गया था कि उनकी बेटी सोनाली, पति दानेश शेख और पांच वर्षीय बेटे के साथ बीरभूम के मुरारई के रहने वाले हैं, को दिल्ली में हिरासत में लिया गया और बांग्लादेश निर्वासित कर दिया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि दिल्ली के रोहिणी सेक्टर 26 में दो दशकों से दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम कर रहे परिवारों को 18 जून को एएन काटजू मार्ग पुलिस ने बांग्लादेशी होने के संदेह में उठाया और बाद में 27 जून को सीमा पार भेज दिया। इन निर्वासित लोगों को वहां बांग्लादेश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। दिव्यांगों को कार खरीदने पर जीएसटी छूट, केंद्र से मांगा जवाब सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांगों के कार खरीदने पर जीएसटी छूट के मामले में केंद्र व अन्य पक्षों से जवाब मांगा। याचिका में दावा किया गया है कि दिव्यांगों को मिलने वाली रियायती माल एवं सेवा कर (जीएसटी) सुविधा को प्रभावी रूप से खत्म कर दिया गया है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने केंद्र सरकार, जीएसटी परिषद समेत अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा। वकील सजल जैन के जरिये दायर याचिका में दिव्यांगों के अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 41 के अनुरूप सभी पात्र विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) के लिए रियायती जीएसटी ढांचे को बहाल करने की मांग की गई है, जो परिवहन तक पहुंच से संबंधित है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 02, 2025, 03:34 IST
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