Supreme Court: अंग प्रत्यारोपण मामले में 'सुप्रीम' आदेश, केंद्र को समान नियम वाली राष्ट्रीय नीति बनाने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने अंग प्रत्यारोपण को बेहद जरूरी मुद्दा बताते हुए केंद्र से समान नियमों वाली एक राष्ट्रीय नीति बनाने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने केंद्र से सभी राज्यों के साथ सलाह के बाद अंग दान और प्रत्यारोपण के लिए एक पारदर्शी व प्रभावी तंत्र विकसित करने को कहा। सीजेआई जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने इंडियन सोसाइटी ऑफ ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन की जनहित याचिका पर ये निर्देश पारित किए। सीजेआई ने केंद्र से यह अनुरोध भी किया कि वह आंध्र प्रदेश को मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 में 2011 के संशोधनों को अपनाने के लिए राजी करे। पीठ ने अभी तक मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण नियम, 2014 को नहीं अपनाने वाले कर्नाटक, तमिलनाडु और मणिपुर जैसे राज्यों को इसे शीघ्रता से अपनाने का निर्देश दिया। लिंग और जातिगत पूर्वाग्रहोंका समाधान करना होगा पीठ ने केंद्र से अंग प्रत्यारोपण के लिए आदर्श आवंटन मानदंड के साथ एक राष्ट्रीय नीति विकसित करने को कहा। इस नीति में लिंग और जातिगत पूर्वाग्रह के मुद्दों का समाधान और इन्हें कम करना होगा। साथ ही राज्य-वार विसंगतियों को समाप्त करने के लिए देश भर के अंग दाताओं के लिए एक समान मानदंड स्थापित करने होंगे। मणिपुर, नगालैंड, अंडमान और निकोबार व लक्षद्वीप जैसे राज्यों में राज्य अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एसओटीओ) के अभाव का जिक्र करते हुए पीठ ने केंद्र से कहा कि वह राज्यों से परामर्श के बाद राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम के तहत इन निकायों का गठन करे। जीवित दाताओं को शोषण से बचाने के भी दिशा-निर्देश देने होंगे पीठ ने कहा, राष्ट्रीय नीति में जीवित दाताओं को शोषण से बचाने के लिए भी दिशा-निर्देश देने होंगे। पीठ ने केंद्र से जीवित दाताओं के कल्याण के लिए यह सुनिश्चित करने को कहा कि दान के बाद उनकी देखभाल की जाए व उनके व्यावसायीकरण और शोषण को रोका जाए।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 20, 2025, 05:49 IST
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