US: ट्रंप के एजेंसियों पर नियंत्रण का विवाद, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट 90 साल पुराने फैसले की करेगा समीक्षा
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक ऐतिहासिक निर्णय में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को स्वतंत्र संघीय एजेंसियों पर ज्यादा नियंत्रण देने का रास्ता खोल दिया। इसके तहतकोर्ट ने 6-3 के बहुमत से फैसला सुनाते हुए ट्रंप को फेडरल ट्रेड कमीशन (एफटीएस) की डेमोक्रेटिक सदस्य रेबेका स्लॉटर को पद से हटाने की अनुमति दे दी है। हालांकियह मामला अभी पूरी तरह निपटा नहीं है। ऐसे में कोर्टके कंजरवेटिव जजों ने ट्रंप के पक्ष में फैसला दिया, जबकि जस्टिस एलेना केगन, सोनिया सोतोमेयर और केतानजी ब्राउन जैक्सन ने इसका विरोध किया। समझिए क्या है पूरा मामला बता दें कि सुप्रीम कोर्ट अब विचार कर रही है कि 1935 में दिए गए अपने ऐतिहासिक फैसले को पलटा जाए या नहीं। उस फैसले में कोर्ट ने कहा था कि स्वतंत्र एजेंसियों के कमिश्नरों को सिर्फ दुराचार या लापरवाही की स्थिति में ही राष्ट्रपति हटा सकते हैं। इससे इन एजेंसियों को कार्यपालिका से अलग एक स्वायत्त पहचान मिली थी। अब ऐसे में ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि राष्ट्रपति को अपने एजेंडे को लागू करने के लिए इन एजेंसियों पर पूरा नियंत्रण होना चाहिए, यानी वे इन बोर्ड सदस्यों को किसी भी कारण से हटा सकें। ये भी पढ़ें:-गृहयुद्ध से ग्लोबल डिप्लोमेसी तक: नई कूटनीति की शुरुआत कर रहे अल-शरा; UN में 60 साल बाद अमेरिका से हुई वार्ता क्यों है यह फैसला अहम ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट 1935 के फैसले को पलटती है, तो अमेरिका की कई स्वतंत्र संस्थाएंजैसे श्रम, उपभोक्ता संरक्षण और संघीय कर्मचारियों के अधिकारों से जुड़ी एजेंसियांराष्ट्रपति के सीधे नियंत्रण में आ जाएंगी। इससे कार्यपालिका की शक्ति काफी बढ़ जाएगी और इन एजेंसियों की स्वतंत्रता पर बड़ा असर पड़ेगा। क्या रहा विरोध में खड़े जजों का तर्क हालांकि दूसरी ओर इस फैसले के विरोध में रहने वालीजस्टिस केगन ने अपने असहमति पत्र में लिखा कि सभी मानते हैं कि कांग्रेस ने इन अधिकारियों को हटाने पर रोक लगाई थी। फिर भी बहुमत ने धीरे-धीरे सभी एजेंसियों पर राष्ट्रपति का पूरा नियंत्रण सौंप दिया है। वहीं स्लॉटर की ओर से वकीलों ने दलील दी कि अगर राष्ट्रपति को ऐसी खुली छूट मिलती है, तो राजनीतिक दबाव में फैसले लिए जाएंगे, ना कि विशेषज्ञता के आधार पर। उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रपति को नई शक्तियांदेनी हैं, तो यह फैसला जनप्रतिनिधियों यानी कांग्रेस को लेना चाहिए। ये भी पढ़ें:-यूएन महासभा में आज ट्रंप देंगे भाषण: दूसरे कार्यकाल की गिनाएंगे उपलब्धियां, शहबाज शरीफ से भी करेंगे मुलाकात इस फैसले का क्या होगाअन्य एजेंसियों पर असर यह मामला सिर्फ एफटीसी तक सीमित नहीं है। नेशनल लेबर रिलेशंस बोर्ड (एनएलआरबी) और मेरिट सिस्टम्स प्रोटेक्शन बोर्ड (एमएसपीबी) की सदस्य ग्विन विलकॉक्स और कैथी हैरिस को भी राष्ट्रपति द्वारा हटाए जाने की अनुमति सुप्रीम कोर्ट पहले ही दे चुका है। कोर्ट दिसंबर में इस पूरे मामले की गहराई से सुनवाई करेगाऔर संभव है कि वह 90 साल पुराने फैसले को पलट दे,जिससे राष्ट्रपति को स्वतंत्र एजेंसियों पर पूर्ण नियंत्रण मिल सकता है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 23, 2025, 04:01 IST
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