SC: 'प्रभावी नहीं था, लेकिन इसे गलत नहीं करार दे सकते', जजों ने नोटबंदी को लेकर कीं ये टिप्पणियां, पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट के पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों को बंद करने के फैसले को सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच सलाह-मशविरा हुआ था। इस तरह के उपाय को लाने के लिए दोनों पक्षों में बातचीत हुई थी इसलिए हम मानते हैं कि नोटबंदी आनुपातिकता के सिद्धांत से प्रभावित नहीं हुई थी।आइए जानतें हैं सुनवाई के दौरान जजों ने क्या टिप्पणी की जस्टिस बी आर गवई ने सरकार के पक्ष में की टिप्पणी नोटबंदी के फैसले पर सुनवाई के दौरान जस्टिस बी आर गवई ने कहा कि केंद्र की निर्णय लेने की प्रक्रिया में खामी नहीं हो सकती, क्योंकि आरबीआई और सरकार के बीच सलाह-मशविरा हुआ था। इसलिए यह कहना प्रासंगिक नहीं है कि लक्ष्य हासिल हुआ या नहीं। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने अलग राय रखी वहीं नोटबंदी के फैसले को लेकर न्यायमूर्ति नागरत्ना ने आरबीआई अधिनियम की धारा 26 (2) के तहत केंद्र की शक्तियों के बिंदु पर न्यायमूर्ति बी आर गवई के फैसले से अलग राय रखी। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि मैं साथी जजों से सहमत हूं लेकिन मेरे तर्क अलग हैं। मैंने सभी छह सवालों के अलग जवाब दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव केंद्र सरकार की तरफ सेआया था और आरबीआई की राय मांगी गई थी। आरबीआई द्वारा दी गई ऐसी राय को आरबीआई अधिनियम की धारा 26(2) के तहत "सिफारिश" के रूप में नहीं माना जा सकता है। यह मान भी लिया जाए कि आरबीआई के पास ऐसी शक्ति थी लेकिन ऐसी सिफारिश आप नहीं कर सकते क्योंकि धारा 26 (2) के तहत शक्ति केवल करेंसी नोटों की एक विशेष श्रृंखला के लिए हो सकती है और किसी मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों की पूरी श्रृंखला के लिए नहीं।उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 26(2) के अंतर्गत कोई भी श्रृंखला" का अर्थ "सभी श्रृंखला" नहीं हो सकता है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 02, 2023, 11:36 IST
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